Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट पर तीन- तीन राजनीतिक परिवारों के धुरंधर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यह सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। इस बार हिसार से मौजूदा सांसद और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के जनक दुष्यंत चौटाला मैदान में हैं जो कि पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल के परपोते और हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं। इसके अलावा यहां से हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के अध्यक्ष कुलदीप विश्नोई के बेटे भव्य विश्नोई चुनाव लड़ रहे हैं, जो कि पूर्व सीएम भजन लाल के पोते हैं। बीजेपी की ओर से पूर्व आईएएस बृजेन्द्र सिंह चुनाव मैदान में है ,बृजेन्द्र पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं और उनकी मां प्रेम लता विधायक हैं। ऐसे में तीन राजनीतिक परिवारों के वंशजों की किस्मत दांव पर है।
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चौटाला परिवार से ये मैदान में: हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार का दबदबा रहा है। ऐसे में राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल के परपोते सांसद दुष्यंत चौटाला इस बार फिर से हिसार से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि वे खुद की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से चुनाव लड़ रहे हैं। दुष्यंत, हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं। 2014 में उन्होंने मोदी लहर के बीच कुलदीप बिश्नोई को चुनाव हराया था। पिछली बार दुष्यंत ने इनेलो से चुनाव लड़ा था।
भजन लाल परिवार से ये मैदान में: हिसार में इस बार पूर्व सीएम भजन लाल के पोते कुलदीप विश्नोई चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन कुलदीप ने अपने बेटे भव्य विश्नोई को मैदान में उतारा है। विदेश से पढ़कर लौटे भव्य इस बार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।
बीजेपी से ये लड़ रहे चुनाव: हिसार में तीसरे राजनीतिक परिवार की बात करें तो यहां से बीजेपी के बृजेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता बीरेंद्र सिंह इस्पात मंत्री रह चुके हैं, जो कि छोटू राम के पोते हैं। छोटू राम अपने समय के उच्च शिक्षित जाट माने जाते थे, 1920 में वो पंजाब प्रान्त के बड़े शिक्षाविद और समाजसुधारक माने जाते थे।
21 साल तक आईएएस अधिकारी रहे 46 वर्षीय बृजेंद्र ने सिविल सेवा परीक्षा में नौवां स्थान हासिल किया था और सेंट स्टीफन कॉलेज, जेएनयू और किंग्स कॉलेज, लंदन जैसी जगहों से पढ़ाई की हैं। उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने के लिए सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया, यहां तक कि उनके पिता ने बीजेपी के गैर-वंशवादी सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए अपने मंत्रालय और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की पेशकश भी की। चुनावी सभाओं में बीरेंद्र की कहते हैं, “यह मेरा बेटा है। इसने आपकी सेवा करने के लिए सरकार की नौकरी का त्याग किया है। अब मैं इसे आप पर छोड़ता हूं।”

