First Voter of India: 25 अक्टूबर 1951, आजादी के 4 साल बाद की उस सुबह देश एक नई इबारत लिखने जा रहा था। आजाद भारत में पहली बार चुनाव हो रहे थे और हिमाचल के छोटे से गांव का एक मास्टर भविष्य के सबसे बड़े लोकतंत्र की बुनियाद डालने के लिए निकल पड़ा था। क्या कभी आपने सोचा है कि जब देश आजाद हुआ था तब सबसे पहले किसने वोट दिया था। यानी देश का पहला वोटर कौन था? आज इस दिलचस्प कहानी के बारे मे जानने वाले हैं।
देश के पहले वोटर श्याम शरण नेगी थे। बता दें कि श्याम शरण नेगी ने 25 अक्टूबर 1951 को पहली बार वोट डाला था। फरवरी 1952 में पहली बार इलेक्शन हुए थे। यहां पर भी साल 1952 में ही चुनाव होने थे लेकिन कई लोगों ने इस पर एतराज जताया कि जनवरी, फरवरी, मार्च में बर्फबारी और कड़ाके की ठंड पड़ती है। इस तरह के मौसम में कोई भी व्यक्ति वोट नहीं दे पाएगा। इसलिए किन्नौर को इससे अलग कर दिया जाए। इसके बाद यहां पर 1951 में चुनाव हुए थे। उस समय आज जैसी सुविधाएं नहीं थी। तब श्याम शरण नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में बतौर टीचर के रूप में काम करते थे।
चुनाव में उनकी भी ड्यूटी लगाई गई थी। उस समय उनमें मतदान करने के लिए काफी उत्साह था। लेकिन उनका बूथ कल्पा में था। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर वे मतदान केंद्र वोट डालने पहुंच गए। चुनाव की ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों से उन्होंने कहा कि चुनाव ड्यूटी के लिए जाना है इसलिए जल्दी वोटिंग करने दे। चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए समय से पहले ही वोटिंग करने दी। उस समय नेगी की उम्र 31 साल थी। उनको क्या पता था कि जल्दबाजी में वोट डालने के चक्कर में वह इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने जा रहे हैं।
कई सालों बाद सच्चाई आई सामने
श्याम शरण नेगी के सबसे पहली बार वोट डालने की सच्चाई कई सालों बाद लोगों के सामने आ पाई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीषा नंदा ने सबसे पहली बार तथ्यों की जांच की। उनकी वजह से ही श्याम शरण नेगी को एक नई पहचान मिली। उन दिनों चुनाव आयोग पहले आम चुनाव में वोट डालने वालों की पहचान कर रहा था। मनीषा नंदा जानती थी कि आजाद भारत में सबसे पहले किन्नौर में वोटिंग हुई थी। एक दिन उनके हाथ फोटो मतदाता पहचान पत्र का रिकॉर्ड आया। इसमें 90 साल की उम्र वाले वोटर का नाम था। इसके बाद उन्होंने तत्कालीन जिला उपायुक्त एम.सुधा देवी को तथ्यों की पुष्टि करने के लिए कहा। आखिर में यह कन्फर्म हो गया।
इलेक्शन कमीशन ने बनाया ब्रांड एंबेसडर
श्याम शरण नेगी उस दौर में नौवीं क्लास तक पढ़े थे। 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन रक्षक के तौर पर नौकरी की और फिर स्कूल में टीचर बन गए। साल 2014 के लोकसभा इलेक्शन से पहले गूगल इंडिया ने उन पर एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। इलेक्शन कमीशन ने उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाया और सभी को वोट डालने के लिए प्रेरित किया। चुनाव आयोग उन्हें किन्नौर के कल्पा बूथ में वोटिंग करवाने के लिए घर से लेकर जाता था। साथ ही, उनका जोरदार स्वागत किया जाता था। बता दें कि 106 साल की उम्र में श्याम शरण नेगी का निधन 5 नवंबर 2022 के दिन हुआ था। उन्होंने अपनी मृत्यु के दो दिन पहले 2 नवंबर 2022 के दिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए आखिरी मतदान डाक मतपत्र के जरिये अपने घर से किया था।