कर्नाटक चुनाव कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई भी एक बड़ा सियासी मुद्दा बना हुआ है। पार्टी के अंदर दो गुट लंबे समय से सक्रिय चल रहे हैं, एक सिद्धारमैया का और दूसरा डीके शिवकुमार का। राज्य में ये दोनों ही कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं, मुख्यमंत्री बनने की चाह रखते हैं। लेकिन चुनावी मौसम में कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि जनता को मैसेज दिया जाए कि दोनों नेताओं के बीच में सबकुछ सही चल रहा है। अब उसी कड़ी में पार्टी की तरफ से सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया है।
कांग्रेस के वीडियो में क्या है?
उस वीडियो में दोनों डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया कई मुद्दों पर विस्तार से बात करते दिख रहे हैं। शुरुआत में डीके, सिद्धारमैया से उनकी सेहत को लेकर सवाल-जवाब करते हैं, उसके बाद राज्य की सियासत और विकास परियोजनाओं को लेकर भी मंथन किया जाता है। उस वीडियो को शेयर करते हुए कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा कि हम साथ में ज्यादा मजबूत है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच ये बातचीत दिखाती है कि दोनों नेता एक दूसरे का पूरा सम्मान करते हैं। एकजुट कांग्रेस 150 सीटें जीतने वाली है।
बीजेपी ने मौज कैसे ली?
अब उस वीडियो पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने अपनी तरफ से एक और वीडियो शेयर किया। उस वीडियो में दिखाया गया कि जब कर्नाटक में एक रैली के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे स्टेज पर आए तो सिद्धारमैया अपनी सीट पर बैठे रहे और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया। बीजेपी ने दावा किया कि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के तीसरे सीएम उम्मीदवार हैं। अब कांग्रेस में पहले से ही सीएम फेस को लेकर रस्साकशी चल रही है, उसमें बीजेपी ने खड़गे की एंट्री करवा सियासी लड़ाई को और ज्यादा दिलचस्प बना दिया है।
असल में कांग्रेस ने इस बार कर्नाटक चुनाव में कोई सीएम फेस घोषित नहीं किया है, कर्नाटक में इसी रणनीति के साथ पार्टी पहले भी उतरी है। लेकिन बीजेपी एक तय रणनीति के तहत देश की सबसे पुरानी पार्टी के अंदर बगावत को हवा देना चाहती है, उसी वजह से ये वीडियो वॉर शुरू कर दिया गया है।
कर्नाटक विधानसभा की क्या स्थिति?
कर्नाटक चुनाव की बात करें तो 10 मई को वोटिंग होने वाली है और 13 मई को नतीजे आएंगे। वर्तमान में राज्य में बीजेपी की सरकार है और बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. उस समय बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसके खाते में 104 सीटें गई थीं, कांग्रेस की बात करें तो उसका आंकड़ा 80 पहुंच पाया था और जेडीएस को 37 सीटों के साथ संतुष्ट करना पड़ा था।