दादरी 2105 में उस वक्त चर्चा में आया था जब वहां बीफ मिलने की घटना हुई थी। अब एक बार फिर से दादरी चर्चा में है इस बार यह विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा में है। दादरी विधानसभा सीट से 44 साल की शकीला सिद्दकी चुनाव लड़ रही हैं। नई आबादी गांव की रहने वाली शकीला इस सीट से अकेली मुस्लिम महिला उम्मीदवार हैं और वह निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। शकीला आठ बच्चों की मां हैं। दादरी में सितंबर 2015 में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था।
बीफ रखने के संदेह में एक उग्र भीड़ ने बिसाहड़ा गांव में मोहम्मद अखलाक़ के घर हमला कर दिया था। हमले में मोहम्मद अखलाक़ की मौत हो गई थी जबकि उनका छोटा बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया था। शकीला ने गांव में प्रचार करना शुरू कर दिया है। बिसहड़ा उनके गांव से 8 किलोमीटर दूर है और वह वहां भी जाएंगी। मूल रूप से गौतमबुद्ध नगर के गढ़ी चौखंडी की रहने वाली शकीला की शादी 28 साल पहले शाबिर से हुई थी। शकीला आठवीं पास हैं।
शादी के 28 साल बाद अब सक्रिय राजनीति में आने की उम्मीद लगाने वाली शकीला को लगता है कि लोग परेशान हैं और विकास नहीं हो रहा है। राजनीति में आकर वह विकास करना चाहती हैं। शकीला का सपना है कि आम लोगों के जीवन में बदलाव आए उनकी जीवन शैली सुधरे और वह इस बदलाव के लिए काम करेंगी। शकीला की राह आसान नहीं है। क्योंकि उनके सामने बहुजन समाज पार्टी के वर्तमान में विधायक सतबीर सिंह गुर्जर, बीजेपी के उम्मीदवार तेजपाल नागर और समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार समीर भाटी हैं।
चार बेटे और चार बेटियां की मां शकीला ने कहा कि मैं पिछले डेढ साल से समाज सेवा कर रही हूं। मैं जहां भी जाती हूं तो लोगों की एक जैसी ही समस्याएं सामने आ रही हैं। सबसे बड़ी समस्या है कि जीतने के बाद तो कोई अपने चुनाव क्षेत्र में जाता ही नहीं है। क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ है। हर जगह साफ सफाई, पीने के पानी और बिजली की समस्या है। बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं हैं। युवा बेरोजगार हैं। दिक्कत यह है कि हमारे चुने गए नेता ऐसे मामलों को उठाते ही नहीं हैं।
