लोकसभा चुनाव में चार चरणों की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। पहले के तीन चरणों में थोड़ा कम मतदान पार्टियों को तो परेशान कर ही गया था, इसके अलावा चुनाव आयोग भी सोच में पड़ा था। लेकिन चौथे चरण के मतदान के जो फाइनल आंकड़े आए हैं, वो बताते हैं कि मामला ट्रैक पर लौट आया है। 2019 की तुलना में चौथे चरण में इस बार ज्यादा वोटिंग हुई है।
क्या बता रहे आंकड़े?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक चौथे चरण में 96 सीटों पर 69.16 फीसदी मतदान हुआ है, वहीं 2019 में वो आंकड़ा 68.80 प्रतिशत था। अगर बाकी चरणों की बात करें तो पहले चरण में 66.14 फीसदी मतदान हुआ जो 2019 की तुलना में 3 फीसदी तक कम था। दूसरे चरण की बात करें तो तब 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2019 में आंकड़ा 69.43 फीसदी था। तीसरे चरण में 65.68 फीसदी वोटिंग हुई, वहीं 2019 में 66.58 प्रतिशत हुई थी।
अब देखने वाली बात ये है कि 2019 और 2024 के वोटिंग प्रतिशत का अंतर हर बीतते चरण के साथ कम होता जा रहा है। बड़ी बात ये है कि जम्मू-कश्मीर में तो बड़े जंप देखने को मिल गया है। 23 फीसदी के करीब वहां पर वोटिंग इस बार बढ़ी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में 14.39 फीसदी वोटिंग देखने को मिली थी, ये आंकड़ा इस बार 37 प्रतिशत से ज्यादा दर्ज किया गया है।
वोटिंग में अंतर, कारण क्या है?
वैसे चुनाव आयोग ने बताया है कि चौथे चरण के वोटिंग आंकड़े में थोड़ा बदलाव और देखने को मिल सकता है। यानी कि बढ़त और ज्यादा अच्छी हो सकती है। इससे पहले दो चरणों को लेकर ऐसे ही आंकड़ों में बदलाव देखने को मिला था। उस बदलाव ने ही विपक्ष के मन में संशा पैदा की थी कि ईवीएम के साथ खेल किया जा रहा है, चुनाव आयोग देर से आंकड़ा जारी कर ठीक नहीं कर रहा। लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने खुद सफाई देते हुए कहा था कि दूर दराज के इलाकों में जो वोटिंग होती है, वहां से वोटिंग के आंकड़े देर से आते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि पांचवें चरण की वोटिंग 20 मई को होने जा रही है, वहीं छठे चरण का मतदान 25 मई को होने जा रहा है। आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होगा और फिर 4 जून को जनता का जनादेश भी आने वाला है।