जालंधर लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के सुशील रिंकू जीत गए हैं। कांग्रेस विधायक संतोख सिंह चौधरी की जनवरी में मृत्यु के बाद यह सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस ने संतोख की पत्नी करमजीत कौर को मैदान में उतारा था। हालांकि, कांग्रेस इस सीट पर जीत को बरकरार नहीं रख सकी और आप के पाले में यह लोकसभा सीट चली गई। आईए जानते हैं वह पांच बड़ी वजहें, जो आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के 24 साल पुराने किले को जीतने में मददगार साबित हुईं-
- आप सरकार ने मार्च 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव जीता था और अभी अगले चुनाव में 4 साल हैं। ऐसे में जनता पार्टी का प्रदर्शन देखना चाहती है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यहां जमकर प्रचार किया और लोगों से अपील की कि उनकी सरकार बने अभी सिर्फ एक साल हुआ है और 2024 में अगले लोकसभा चुनाव से पहले 11 महीने और दिए जाने चाहिए। इसका फायदा आप को यहां हुआ है।
- आप ने उपचुनाव में जीतने के लिए लोगों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने यहां विभिन्न वर्गों के लिए परियोजनाओं की घोषणा की। आप ने मतदाताओं को यह भी याद दिलाया कि अगर उनका उम्मीदवार जीतता है तो वह लोकसभा में पार्टी के पहले सांसद होंगे। इसने मतदाताओं के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया। इसके साथ जनता ने यह भी कहा कि वे इंतजार करेंगे और देखेंगे कि क्या आप अगले चुनाव से पहले अपने वादों को पूरा करती है।
- चुनाव अभियान के दौरान, आप सरकार ने जीरो बिजली बिल और आम आदमी क्लीनिक जैसी अपनी पहलों का फिर जिक्र किया। सरकार के फ्री बिजली से लोग काफी खुश हैं। सरकार ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे 28,000 लोगों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं।
- आप उम्मीदवार सुशील रिंकू का दलित समुदाय में अच्छा जनाधार है और वे छोटी-छोटी बातों पर भी उनके लिए खड़े रहते हैं। यह बहुत मायने रखता था क्योंकि जालंधर में लगभग 42 फीसदी दलित आबादी है।
- केजरीवाल ने संकेत दिया कि अगर उनका उम्मीदवार जीता तो जालंधर में अभूतपूर्व विकास होगा, वरना सिर्फ “तू तू, मैं मैं” होगी। हालांकि, इस दौरान, आप के खिलाफ कई आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने ग्राम स्तर पर सरपंचों को डराया और धमकी दी कि अगर उन्होंने आप उम्मीदवार के लिए अपने गांव के वोट सुनिश्चित नहीं किए तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।