मुख्य चुनाव आयोग (EC) ने केंद्र सरकार के कुछ निर्णयों पर नाखुशी जाहिर की है। इसके लिए उन्होंने कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा को लिख दिया है कि आगे से सरकार अगर चुनावी राज्यों के लिए कुछ कदम उठाना चाहती है तो उसे पहले चुनाव आयोग के उन लोगों से इजाजत लेनी होगी जो पांचों राज्यों के चुनाव पर नजर रखे हुए हैं। यह आदेश खासतौर पर वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के लिए आया है। पीके सिन्हा को भेजे गए पत्र में साफ कर दिया गया है कि सरकार द्वारा लिया गया कोई भी फैसला पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में असर डाल सकता है। पत्र में चुनाव आयोग ने केंद्र के किसी खास काम या घोषणा का तो जिक्र नहीं किया है लेकिन केंद्र को सावधान जरूर कर दिया है।
बजट पर भी नाराजगी: मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी भी केंद्र के कुछ फैसलों को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार ने केंद्रीय बजट पेश करने से पहले उनसे संपर्क नहीं किया यानी किसी तरह की राय नहीं ली। केंद्र सरकार द्वारा चुनाव से पहले बजट लाने की बात चुनाव आयोग को तब पता लगी जब विपक्षी दल उसकी शिकायत लेकर पहुंचे।
हालांकि, बाद में चुनाव आयोग ने बजट को मंजूरी दे दी। लेकिन साथ में हिदायत दी गई कि जिन राज्यों में चुनाव हैं उनके लिए कोई विशेष योजना नहीं लाई जाएगी।
चुनाव आयोग के मॉडल ऑफ कंडक्ट के हिसाब से सत्ता में मौजूद लोग चुनाव के दौरान अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसलिए सरकार को चुनावी राज्य के लिए कोई भी फैसला लेने से पहले चुनाव आयोग को जानकारी देनी होती है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव 4 फरवरी से शुरू हैं। चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे।