Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के जौनपुर लोकसभा सीट पर चुनाव अब त्रिकोणीय हो गया है। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। पहले बीजेपी ने कृपा शंकर सिंह को टिकट दिया। उसके बाद समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारकर सियासी धड़कनों को तेज कर दिया था। इसके बाद अब बसपा ने सभी को चौंकाते हुए श्रीकला धनंजय सिंह को जौनपुर सीट से टिकट दिया है। श्रीकला सिंह को टिकट मिलने के बाद पूरा चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।
मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक पहले बाहुबली धनंजय सिंह के समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने की अफवाहों से सियासी गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई थी। इसके बाद उन्हें सजा हो गई और उनका लोकसभा चुनाव लड़ना टल गया। बता दें कि बाहुबली नेता धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को अपहरण और रंगदारी केस में 7 साल की कैद की सजा सुनाई गई है। उन पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भले ही सबसे ज्यादा हो पर इस सीट पर राजपूतों का ही दबदबा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने जौनपुर सीट को अपने खाते में लाने के लिए महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की आवाज के रूप में पहचाने जाने वाले जौनपुर के रहने वाले और राजपूत बिरादरी के कृपाशंकर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। धनंजय ने कृपा शंकर की उम्मीदवारी घोषित होते ही अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया था। धनंजय को उस समय करारा झटका लगा जब जौनपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपहरण के मामले में सात साल की सजा सुनाकर जेल भेज दिया।
धनंजय सिंह की तीसरी पत्नी चुनावी मैदान में
धनंजय सिंह का जीवन भी काफी दिलचस्प रहा है। उन्होंने कुल तीन शादियां कीं। पहली पत्नी ने शादी के करीब 9 महीने बाद ही सुसाइड कर लिया था। फिर धनंजय सिंह ने डॉक्टर जागृति सिंह से दूसरी शादी की। डॉक्टर जागृति अपनी नौकरानी की हत्या के आरोप में 2013 में जेल भी गईं। बाद में धनंजय और जागृति का तलाक हो गया और दोनों अलग हो गए। धनंजय सिंह ने साल 2017 श्रीकला रेड्डी से तीसरी शादी की। दोनों ने पेरिस में आलीशान तरीके से शादी रचाई थी।
श्रीकला मूल रूप से तेलंगाना की रहने वाली हैं। वह बड़े कारोबारी घराने से संबंध रखती हैं। उनके पिता जितेंद्र रेड्डी भी विधायक रह चुके हैं। वहीं, उनकी मां ललिता रेड्डी अपने गांव की सरपंच रह चुकी है। श्रीकला की राजनीतिक एंट्री साल 2021 में हुई थी। उन्हें जौनपुर की जिला पंचायत का अध्यक्ष चुना गया था। वह निर्दलीय ही चुनाव जीत गई थी। इस इलेक्शन में उन्हें 43 वोट हासिल हुए थे। इसके बाद धीरे-धीरे उनकी राजनीति में सक्रियता बढ़ती चली गई और वे पति धनंजय सिंह के साथ कई कार्यक्रम में भाग लेने लग गई थी।
जौनपुर लोकसभा सीट पर राजपूतों का दबदबा
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण वोटर्स की संख्या भले ही सबसे ज्यादा है पर अब तक इस सीट पर राजपूतों की ही दबदबा रहा है। ब्राह्मणों की आबादी 15.72 फीसदी और दूसरे नंबर पर 13.30 फीसदी के साथ राजपूत हैं पर अब तक 17 चुनावों में 11 बार राजपूत उम्मीदवारों के जीतने का रिकॉर्ड है। चार बार यादव और दो बार ब्राह्मण प्रत्याशियों को भी जीत मिली है। वहीं, मुस्लिम और एससी कैटेगरी के वोटरों की संख्या भी काफी सही है।
जौनपुर लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो विकास के नाम पर वोटर्स ने प्रमुख दलों को बारी- बारी से आजमाया है। इस सीट पर सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस पार्टी के नाम पर है। कांग्रेस के प्रत्याशी छह बार चुनाव जीते, लेकिन तीन दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस का वनवास समाप्त ही नही हो सका है। इस बार इलेक्शन में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की वजह से यह सीट सपा के खाते में गई है। वहीं, जौनपुर के वोटर्स ने जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी को पांच बार प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है।
चुनावी साल | उम्मीदवार | पार्टी | कुल वोट |
2019 | श्याम सिंह यादव | बहुजन समाज पाार्टी | 5,21,128 |
कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी’ | भारतीय जनता पार्टी | 4,40,192 | |
देवव्रत मिश्रा | कांग्रेस | 27,185 | |
2014 | कृष्ण प्रताप सिंह ‘केपी’ | भारतीय जनता पार्टी | 3,67,149 |
सुभाष पांडेय | बहुजन समाज पार्टी | 2,20,839 | |
2009 | धनंजय सिंह | बहुजन समाज पार्टी | 3,02,618 |
पारस नाथ यादव | समाजवादी पार्टी | 2,22,267 | |
2004 | परसनाथ यादव | समाजवादी पार्टी | 2,19,614 |
ओम प्रकाश दुबे (बाबा दुबे) | बहुजन समाज पार्टी | 1,92,489 | |
1999 | चिन्मयानंद | भारतीय जनता पार्टी | 2,07,405 |
पारस नाथ यादव | समाजवादी पार्टी | 1,98,770 |
जौनपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
अब विस्तार से बात की जाए तो साल 1952 में पहले आम चुनाव हुए थे। उस समय जौनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के बीरबल सिंह को लोगों ने भारी मतों से विजयी बनाया था। वहीं, साल 1957 में कांग्रेस के गणपत राम को कामयाबी हासिल हुई थी। लेकिन आम चुनाव 1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह को सफलता मिली। इस सीट पर पहली बार कांग्रेस ने हार का मुंह देखा था। लेकिन एक साल के अंदर ही ब्रह्मजीत का निधन हो गया। इसके बाद साल 1963 में इस सीट पर उपचुनाव हुए। इसमें जनसंघ के मुखिया पंडित दीनदयाल उपाध्याय चुनावी मैदान में उतरे। लेकिन उनको हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस के राजदेव सिंह ने जनसंघ के सबसे बड़े लीडर को हरा दिया था। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के राजदेव सिंह ही लगातार 1971 तक जीतते रहे।
अब इमरजेंसी के बाद की बात की जाए तो कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। साल 1977 में इलेक्शन हुए यहां पर जनता पार्टी के यादवेंद्र दत्त दुबे को जीत हासिल हुई। वहीं, साल 1980 में जनता दल के ही अजीजुल्लाह आजमी को सीट जीतने में कामयाबी मिली। लेकिन साल 1984 में कांग्रेस ने वापसी की और कमला प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की। इसके बाद इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा।
साल 1989 में बीजेपी के यादवेंद्र दुबे को जीत मिली। लेकिन साल 1991 में जनता दल के अर्जुन सिंह यादव जीते। साल 1996 में एक बार फिर बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली। बीजेपी के राज केसर सिंह को विजय मिली। साल 1998 के आम चुनाव में इस सीट पर पहली बार समाजवादी पार्टी का खाता खुला। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पारसनाथ यादव ने जीत हासिल की।
साल 1999 में भारतीय जनता पार्टी के स्वामी चिन्मयानंद, साल 2004 में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव और साल 2009 में बीएसपी के धनंजय सिंह ने जीत हासिल की। एक बार फिर इस सीट पर साल 2014 में बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण प्रताप सिंह को जीत मिली। लेकिन साल 2019 के लोकसभा इलेक्शन में बीएसपी के श्याम सिंह यादव ने जीत हासिल की।
2019 के लोकसभा इलेक्शन में किसे मिली जीत
2019 में सपा-बसपा गठबंधन के श्याम सिंह यादव ने दलित, मुस्लिम और यादव वोटर्स के समर्थन से जीत दर्ज की थी। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने कृष्ण प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था। लेकिन इस सीट पर बीएसपी उम्मीदवार ने 80936 वोटों से जीत हासिल की। श्याम सिंह यादव को 5.21 लाख मिले थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी को 4.40 लाख वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
क्रम संख्या | जौनपुर लोकसभा सीट 2019 के नतीजे | |||
पार्टी | प्रत्याशी | वोट | नतीजा | |
1 | बीएसपी | श्याम सिंह यादव | 500,543 | जीत |
2 | बीजेपी | कृष्ण प्रताप सिंह | 4,40,192 | हार |
3 | कांग्रेस | देव व्रत मिश्र | 27,185 | हार |
चिन्मयानंद के अलावा किसी को नहीं मिला मंत्री पद
जौनपुर की लोकसभा सीट से अब तक 17 सांसद चुने जा चुके हैं, लेकिन स्वामी चिन्मयानंद ही हैं, जिन्हें केंद्र सरकार में मंत्री पद मिल सका है। स्वामी चिन्मयानंद ने साल 1999 के लोकसभा इलेक्शन में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और चुनाव में जीत हासिल की थी। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का पद मिला था। बाकी सांसदों के मंत्री बनने की ख्वाहिश आज तक पूरी नहीं हो सकी है। इस सीट की एक खास बात यह भी है कि यहां से अभी तक कोई भी प्रत्याशी हैट्रिक नहीं लगा पाया है।