छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगूल बज चुका है। राज्य में 12 नवम्बर को वोट डालने की प्रक्रिया शुरू होगी। चुनाव आयोग भी चुनाव प्रक्रिया को सकुशल संपन्न कराने के लिए अपनी कमर कस चुका है। लेकिन छत्तीसगढ़ पीठासीन अधिकारी को नियुक्त करने में एक बड़ी लापरवाही सामने आयी है। वरिष्ठता को दरकिनार कर, चपरासियों को पीठासीन अधिकारी बनाया गया। इस घटना से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना हो रही है।

ऐसे में द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारियो को, प्राइमरी स्कूल के प्रधान पाठकों के अधीन कार्य करना होगा। इस व्यवस्था के लिए अधिकारियों ने दबी जुबान में रोष व्यक्त किया है। घटना छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की है, जहां चपरासियों को पीठासीन अधिकारी बनाने का मामला सामने आया है। चुनावों में ड्यूटी लगते हुए वरिष्ठता की अनदेखी की गयी। इस घटना से एमपी हाइकोर्ट द्वारा दिए निर्णय की अनदेखी की गयी है।

जिसमे हाईकोर्ट ने कहा था कि, किसी भी किसी उच्च श्रेणी अधिकारी की ड्यूटी निम्न श्रेणी के कर्मचारी या अधिकारी के अधीन ना लगाई जाये। वरीयता का भरपूर ख्याल रखा जाये। फिर भी इस तरह की लापरवाही की घटना सबंधित अधिकारियो पर सवालिया निशान खड़ा करती है।

अपर कलेक्टर एके धृतलहरे ने इस घटनाक्रम पर कहा कि, “अधिकारियो- कर्मचारियों के नाम एंट्री करते समय इस तरह की गलती हुई है। संबंधित अधिकारी -कर्मचारी अगर आवेदन वा आदेश की कॉपी लगाकर इसे प्रस्तुत करेंगे तो इसमें सुधार कर दिया जायेगा। कालेज के प्राचार्य वा प्राध्यापकों की ड्यूटी भी बदल दी जाएगी। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में चुनावी ड्यूटी लगाने के दौरान लापरवाही के चलते कालेज के प्राचार्य को प्राइमरी एचएम के अधीन काम करना होगा। फिलहाल राज्य में चुनावो की सरगर्मियां जोरों पर है और आयोग चुनाव को सकुशल निपटाने की भरसक कोशिश में लगा है।