बिहार में राजनीति और अपराध का नाता पुराना है। चुनाव में अपराधियों को सबक सिखाने की बात तो की जाती है लेकिन कई दागियों को टिकट दिया जाता है और जनता उन्हें कुर्सी पर भी बैठा देती है। दागियों की जीत के मामले में बिहार ने पिछले 15 साल के रेकॉर्ड तोड़ दिया है। इस बार चुनाव में सबसे ज्यादा दागी चुनकर विधानसभा पहुंच रहे हैं। अच्छी बात यह है कि बुजुर्ग नेताओं ने भी चुनाव में कमाल दिखाया है। 58 बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्होंने जीत दर्ज की और उनकी उम्र 61 से 70 साल के बीच है।
बिहार में 66 प्रतिशत ऐसे विधायक चुने गए हैं जो कि आपराधिक छवि के हैं। पिछली बार के चुनाव में 142 दागी प्रत्याशियों की जीत हासिल हुई थी और 2005 में 100 ही विधायक दागी थी। दागी विधायकों में से सबसे ज्यादा मुकदमे बाहुबली अनंत सिंह पर दर्ज हैं। इसमें प्रमुखता से अनंत सिंह (आरजेडी), रीतलाल राय (आरजेडी), अजय यादव (आरजेडी), अमरजीत कुशवाहा और आरजेडी के महबूब का नाम लिया जा सकता है।
इस बार जेडीयू से 43 में से 42, बीजेपी के 74 में से 73, आरजेडी के 75 में से 75, कांग्रेस के 19 में से 18, एलजेपी के एक, विधायक पर मुकदमा है। आरजेडी इस मामले में सबसे ऊपर है। बिहार में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी भी आरजेडी ही है।
बुजुर्गों ने लहराया परचम
बात करें बुजुर्गों की तो इस विधानसभा चुनाव में 58 विधायक ऐसे नेता बने हैं जिनकी उम्र 61 से 70 के बीच है। यह आंकड़ा 2015 में केवल 49 था। वहीं 2005 में कोई इतना उम्रदराज प्रत्याशी जीता ही नहीं था। 25 से 40 की उम्र के 35 और 41 से 60 वर्ष की आयु वाले 37 प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है। सबसे उम्रदराज विधायक जेडीयू के सुपौल से विजेंद्र यादव हैं जिनकी उम्र 74 साल है। इसके बाद इमामगंज से जीतनराम मांझी (74 साल) और जेडीयू के मेवालाल चौधरी (74 साल)का नाम शामिल है। सबसे ज्यादा बुजुर्ग विधायक जेडीयू के 12 हैं और दूसरे नंबर पर बीजेपी के 21 बुजुर्ग विधायक हैं।