राकेश टिकैत ने कहा है कि वह कभी भी नहीं डरे, लेकिन जिस तरह से पुलिस ने षडयंत्र करके 84 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। टिकैत ने कहा, आज किसान और कलम पर बंदूक का पहरा है। किसान पहरे में फैसला नहीं करेगा। जब किसान का बराबर लेवल होगा तो वो सरकार से बात करेंगे।

दरअसल उनसे सवाल किया गया था कि 28 तारीख को वह डर क्यों गए। ऐंकर का सवाल था कि जाटड़ा और काटड़ा डरता नहीं तो वह क्यों डर गए थे। टिकैत ने कहा कि जिसने झंडे का अपमान किया उसे नहीं पकड़ा। लाल किले में उन्हें लेकर कौन गया। पुलिस वाले उन हुड़दंगियों से हाथ मिला रहे थे। उन्हें रास्ता दे रहे थे। किसी चैनल ने इस रिपोर्ट को नहीं चलाया। उनका कहना था कि किसान पीछे नहीं हटेगा। किसान की पगड़ी नहीं झुकेगी। टिकैत ने पीएम का धन्यवाद किया कि उन्होंने पहल की।

जब ऐंकर ने सवाल किया कि राकेश टिकैत आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बन गए हैं जबकि वह आंदोलन से 12 दिन बाद जुड़े थे। सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा साझी प्रेस वार्ता करता है और आप अपने आप से बयान जारी कर देते हैं। टिकैत का कहना था कि प्रेस घेर लेती है। सरकार के प्रायोजित लोग उन्हें घेर लेते हैं। उनका कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा ही आंदोलन से जुड़ा हर फैसला लेगा।

ऐंकर के इस सवाल पर कि आपने खुद माना है कि आपने बीजेपी को वोट दिया। कुछ लोग कहते हैं कि आप भी सरकार के नुमाइंदे हैं। टिकैत ने कहा कि वोट देने का सबका अधिकार है। मेरा कोई एजेंडा नहीं है। वोट पार्टी और व्यक्ति को देखकर दिया जाता है। मेरे ऊपर धाराएं लगी हैं और प्रापर्टी सीज हो रखी हैं। मैं चेहरा नहीं हूं। संयुक्त किसान मोर्चा ही सब कुछ है। वो ही सारे फैसले करेगा।

ऐंकर ने कहा कि आपसे मिलने सुखबीर बादल, अभय चौटाला, जयंत चौधरी जैसे लोग आए। ये गैर राजनीतिक आंदोलन था। लेकिन क्या अब इसका स्वरूप बदल गया है। उनका कहना था कि आंदोलन गैर राजनीतिक था, है और रहेगा। जो आता है उसका धन्यवाद। लेकिन वो मंच और माइक पर नहीं जाएगा। कोई इस आंदोलन के मंच का इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। इस आंदोलन से विपक्ष का कोई मतलब नहीं है।

उनका कहना था कि आंदोलन केवल इस वजह से है कि रोटी तिजोरी में बंद न हो। हम सरकार को फोन नहीं करेंगे। उन्हें ही फोन करना पड़ेगा। पूरे देश के किसानों को msp मिलनी चाहिए। व्यापारी भी इससे कम पर खऱीद न करें। सरकारों को कानून बनाना ही पड़ेगा। उनका कहना था कि जिस दिन सरकार कानून बनाएगी, उसी दिन वह सरेंडर कर देंगे। जो सजा होगी मानेंगे। वकील भी खड़ा नहीं करेंगे। उनका एकमात्र ध्येय किसानों को उनका हक दिलाना है।