ऑल इंडिया मजलिस- ए- इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार (8 अप्रैल) को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके कार्यकाल में हुई माब लिंचिंग (भीड़ द्वारा मारपीट) की घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाएगा।असम में कथित रूप से बीफ बेचने पर भीड़ द्वारा एक व्यक्ति के साथ मारपीट करने की खबर का हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा, ‘‘ये घटनाएं मोदी का पूरी जिंदगी भूत की तरह पीछा करेंगी क्योंकि प्रधानमंत्री होने के नाते वह ऐसी घटनाएं नहीं रोक नहीं पाए।’’ उन्होंने इस कथित घटना को भयावह करार दिया और कहा कि 68 वर्षीय व्यक्ति के साथ मारपीट की गयी क्योंकि वह बीफ बेच रहा था।

हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने यहां ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘… वह पिछले 35 सालों से इस धंधे में है। तब उसे पोर्क (सुअर का मांस) खाने के लिए बाध्य किया गया। ये बेढ़ब लोग, …. वे इंसान कहलाने लायक नहीं हैं…. वे जानवर हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी की धरोहर… सबसे बड़ी चीज, जिसके लिए मोदी याद किये जाएंगे , वह यह है कि उनके इस महान देश के प्रधानमंत्री रहने और सत्ता में उनके रहने की वजह से भीड़ द्वारा मारपीट और ऐसी घटनाएं बढीं।’’

उन्होंने दावा किया कि भीड़ द्वारा मारपीट की घटनाओं में शामिल सभी लोग मोदी के समर्थक हैं और उनकी हिम्मत बढ़ गयी है क्योंकि उन्हें पता है कि उनके पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो उनकी विचारधारा का समर्थन करता है। लोकसभा चुनाव में हैदराबाद से फिर से जीतने की कोशिश में लगे ओवैसी ने आरोप लगाया, ‘‘ ‘लव जिहाद’, ‘घर वापसी’, ‘भीड द्वारा मारपीट’ और ‘गाय’ से जुड़ी घटनाएं मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद हुईं।’’

दरअसल, असम में एक मुस्लिम व्यक्ति को लोगों के एक समूह ने कथित रूप से पीटा और उसे सूअर का मांस खाने के लिए बाध्य किया जो उसके बीफ बेचने को लेकर नाराज थे। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकतर मुस्लिमों में सूअर का मांस खाना हराम है। पुलिस अधीक्षक राकेश रौशन ने बताया कि पीड़ित शौकत अली (48) पर बिश्वनाथ जिले के मधुपुर साप्ताहिक बाजार में स्थानीय लोगों के एक समूह ने हमला किया और उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरुरत पड़ी।

घटना का वीडियो वायरल हो गया जिसमें दिखाया गया है कि अली कुछ नाराज लोगों से घिरा हुआ है जो ये जानना चाह रहे हैं कि वह कहां से आया है और क्या उसका नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी में है जिसका इरादा अवैध घुसपैठियों को बाहर करना है। रौशन के अनुसार अली को स्थानीय लोगों ने पीटा जो किसी कट्टरपंथी संगठन से नहीं जुड़े थे। खाने का स्टाल चलाने वाले अली ने दावा किया कि हमला करने वालों ने उसे सूअर का मांस जबर्दस्ती खिलाया लेकिन पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की। पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘हमने भी इसके बारे में सुना है। यह जांच का विषय है। मैं जांच के बाद ही यह बता पाऊंगा।’’ घटना के सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और उससे पूछताछ की गई।

अली ने दावा किया कि वह बाजार में बीफ तीन दशक से अधिक समय से बेच रहा है और उसे कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा।
समूह ने अली को बीफ के व्यंजन बेचने की इजाजत देने के लिए बाजार के ठेकेदार 42 वर्षीय कमल थापा को भी पीटा। राज्य में गोवध और बीफ का सेवन प्रतिबंधित नहीं है लेकिन असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 केवल 14 वर्ष से अधिक उम्र के मवेशी को मारने की अनुमति देना है जिसके लिए पशु चिकित्सक से प्रमाणपत्र जरूरी है।