आगामी लोकसभा चुनाव में कम वोटिंग प्रतिशत चुनाव आयोग के लिए बड़ा चिंता का सबब बना हुआ है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में हर चरण में वोटिंग कुछ कम देखी जा रही है।
वोटर संख्या बढ़ी, वोटिंग नहीं!
इंडियन एक्सप्रेस ने समीक्षा की है जो बताती है कि 466 कुल सीटों में से इस बार 94 सीटों पर एब्सोल्यूट वोटर का आंकड़ा कुछ कम हो गया है। मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा कम इस बार इन सीटों पर देखी गई है- मथुरा, सिद्धि, खजुराहो, बागपत और जबलपुर। इन सीटों पर एक लाख के करीब वोटर इस बार कम हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि इस तरह का आंकड़ा तब देखने को मिल रहा है जब कुल मतदाताओं की संख्या में इजाफा देखने को मिला है, 2019 के चुनाव में अगर वोट करने योग्य 91 करोड़ मतदाता थे, 2024 के चुनाव में वो आंकड़ा 96.8 करोड़ तक पहुंच गया।
अब वैसे तो 94 सीटों पर वोटर टर्नआउट कम देखने को मिला है, लेकिन वहां भी कुछ राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित देखने को मिले हैं। उस लिस्ट में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान शामिल है। इसी कड़ी में अगर एब्सोल्यूट नंबर ऑफ वोट की बात करते हैं, तब सबसे ज्यादा गिरावट केरल और उत्तराखंड में देखने को मिली है।
बीजेपी के लिए ज्यादा नुकसान कैसे?
वैसे एब्सोल्यूट नंबर ऑफ वोटरों की जो गिरावट देखने को मिली है, वो इस बार बीजेपी के लिए ज्यादा बड़ा चिंता का सबब है। उसका सबसे बड़ा कारण ये है कि जिन सीटों पर वोटिंग कम हुई है, उनमें से ज्यादातर सीटें बीजेपी ने पिछली बार अपने नाम की थी। अगर 94 सीटों का एक एवरेज निकाला जाए तो माना जा रहा है कई सीटों पर औसतन 41880 वोटर कम हो गए हैं। बड़ी बात ये है कि वोटिंग उन जगहों पर भी कम हो गई है, जहां पर असल में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण तमिलनाडु में देखने को मिला है जहां पर वोटर एनरॉल्मेंट तो बढ़ गया लेकिन वोट करने वाले मतदाताओं की संख्या में गिरावट देखने को मिली। दक्षिण की इस सीट पर 39 में से 18 सीटों पर इस बार 2019 की तुलना में कम मतदान हुआ है।
राज्यों का हाल क्या है?
इसी तरह बात अगर राजस्थान की जयपुर ग्रामीण सीट की हो तो वहां पर वैसे तो इस बार 2.32 लाख नए मतदाता जुड़े थे, लेकिन उनमें से कई ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल तक नहीं किया। इसी वजह से 2019 की तुलना में मात्र 56.7 फीसदी वोटिंग 2024 में देखने को मिली। अभी पिछले चरण की बात करें तो उसमें इस बार 63.37% वोटिंग देखने को मिली है, 8 राज्यों की 58 सीटों पर लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, लेकिन ये आंकड़ा 2019 के 64.73% वोटिंग से कम है।