केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने दृष्टि आईएएस कोचिंग पर ₹5,00,000 का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कोचिंग संस्थान पर इसलिए लगाया गया है, क्योंकि उन पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के रिजल्ट के बारे में भ्रामक विज्ञापन दिए थे।

एक जारी बयान में कहा गया है कि दृष्टि आईएएस की तरफ से 3 साल पहले एक विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें दावा किया गया कि 216 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने यूपीएससी सीएसई 2022 की परीक्षा क्रैक की थी। उन छात्रों के नाम और तस्वीरें भी विज्ञापन में लगाई गई थीं। लेकिन सीसीपीए ने अपनी जांच में पाया कि यह विज्ञापन गुमराह करने वाला था, और उसमें यह जानकारी नहीं दी गई कि उन अभ्यर्थियों ने कौन सा कोर्स लिया था और उसकी क्या अवधि थी।

वहीं एजेंसी ने यह भी कहा है कि जिन 216 अभ्यर्थियों का दावा दृष्टि आईएएस कर रहा है, उनमें से 162 ने मात्र फ्री इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम लिया था।

दृष्टि आईएएस पर आरोप है कि उन्होंने अपने विज्ञापन के जरिए माता-पिता को भी गुमराह किया और ऐसा दिखाने की कोशिश की कि आईएएस इंस्टीट्यूट ही उनकी सफलता के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। लेकिन यह भारतीय कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 का उल्लंघन करता है।

सीसीपीए के मुताबिक यह कोई पहली बार नहीं है जब दृष्टि आईएएस को इस तरह से फटकार पड़ी है और उन पर जुर्माना लगाया गया है। पिछले साल भी एजेंसी ने ऐसा ही एक आदेश कोचिंग इंस्टिट्यूट के खिलाफ जारी किया था। तब एक विज्ञापन में दावा किया गया था कि डेढ़ सौ से ज्यादा अभ्यर्थियों ने यूपीएससी सीएसई 2021 की परीक्षा क्रैक की थी। लेकिन वहां भी पाया गया कि 161 अभ्यर्थियों में से 148 ने आईजीपी (इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम) में इनरोल किया था, सात ने मेंटरशिप प्रोग्राम और चार ने जीएस फाउंडेशन प्रोग्राम लिया था। उस साल दृष्टि आईएएस पर ₹3 लाख का जुर्माना लगाया गया था और उन्हें भ्रामक विज्ञापन हटाने के लिए कहा गया।

अब यहां पर समझने वाली बात यह है कि सीसीपीए साफ कहता है कि माता-पिता और अभ्यर्थियों से कोई भी संस्थान जरूरी जानकारी नहीं छिपा सकता है, और उनका पूरा अधिकार है कि उन्हें कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत पूरी पारदर्शिता के साथ सब कुछ बताया जाए। सीसीपीए की माने तो उन्होंने अब तक कई कोचिंग इंस्टिट्यूट को 54 नोटिस जारी किए हैं, और ये सभी नोटिस भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ हैं।