कोलकाता के एक कॉलेज ने संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम व्यक्ति को एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया है। बता दें कि यह नियुक्ति ऐसे वक्त की गई है, जब उत्तर प्रदेश स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संस्कृत के एक अध्यापक की धार्मिक पहचान को लेकर विवाद चल रहा है। रमजान अली नाम के व्यक्ति की नियुक्ति बेलूर के रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर में की गई है। उनके पास उत्तर बंगाल के एक कॉलेज में नौ वर्ष तक पढ़ाने का अनुभव है। मामले में अली ने कहा कि छात्रों और संकाय सदस्यों की ओर से किए गए गर्मजोशी भरे स्वागत से वह अभिभूत हैं।

कॉलेज में सभी ने अली का किया स्वागतः अली ने मंगलवार (19 नवंबर) से बेलूर कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने कहा, ‘प्राचार्य स्वामी शास्त्राज्ञानदा जी महाराज तथा अन्य सभी ने मेरा स्वागत किया… महाराज ने कहा कि मेरी धार्मिक पहचान का कोई मतलब नहीं है। कुछ मायने रखता है तो वह है भाषा पर मेरी पकड़, उसे लेकर मेरा ज्ञान और इस ज्ञान को छात्रों के साथ साझा करने की मेरी क्षमता।’

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अली ने बताया संस्कृत को सारी भाषाओं की जननीः बीएचयू में चल रहे विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि संस्कृत भारत की विशाल परंपरा को दर्शाया करती है। यह मत भूलिए कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। कोई भी व्यक्ति दूसरे धर्म के लोगों को संस्कृत के पढ़ने-पढ़ाने से कैसे रोक सकता है?’

कॉलेज के छात्रों ने अली की नियुक्ति पर जताई खुशीः उल्लेखनीय है कि बीएचयू के कुछ छात्र संस्कृत विभाग में फिरोज खान नाम के व्यक्ति की एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, बीएचयू के अधिकारी उनके (खान के) समर्थन में हैं फिर भी वह अभी तक कक्षा नहीं ले सके हैं। इस पर रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर में संस्कृत विभाग के एक छात्र ने कहा कि किसी भी शिक्षक की धार्मिक पहचान पर सवाल उठाना अनुचित है।