मौसम विज्ञान के अंतर्गत मौसम से जुड़ी कई प्रक्रियाओं और उससे संबंधित पूर्वानुमानों का अध्ययन किया जाता है। इसमें आकलन, समझ और मौसम के अनुमान को शामिल किया जाता है। मौसम की चाल सीधी नहीं होती। बढ़ते प्रदूषण और घटते जंगलों की वजह पृथ्वी के तापमान में बदलाव और प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ ने मौसम का मिजाज बिगाड़ दिया है। यही कारण है कि आए दिन प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। मौसम से जुड़े सारे तथ्यों की जानकारी मौसम विभाग से आती हैं। इस विषय में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए मौसम विज्ञान में करिअर बनाना आसान है। मौसम विज्ञानियों का काम: मौसम का मिजाज जानना एक अलग तरह का कार्य है, जिसके लिए व्यक्ति में कुछ विशेष गुणों का होना आवश्यक है। मौसम संबंधी आंकड़ों के संकलन और विश्लेषण का कार्य प्रयोगशालाओं में होता है। पर्यावरण और उसके लक्षणों का अध्ययन करने के लिए जरूरी है कि मौसम विज्ञानी इस काम में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों जैसे वर्षामापी, बैरोमीटर, रिमोट सेंसिंग उपकरण, थर्मामीटर आदि के उपयोग में पूरी तरह से दक्ष हों।
ये पेशेवर कुछ सालों के अनुभवों के आधार बारिश, तापमान, दबाव, वायुवेग, नमी आदि का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम हो जाते हैं। मौसम विज्ञान के क्षेत्र में इतने सारे आयाम हैं कि इस विषय का अध्ययन करके आप अपनी रुचि के अनुसार अनुसंधान और शोध के क्षेत्र में भी करिअर बना सकते है। आॅपरेशंस के तहत मौसम उपग्रहों, रडार, रिमोट सेंसर, वायुदाव, तापमान, पर्यावरण से संबंधित सूचनाएं एकत्रित कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है। यह भविष्यवाणी समुद्र में आने वाले तूफानों और मछुआरों को सुरक्षा प्रदान करने में सहायता करती है। मौसम के आधार पर ही उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाता है। एक मौसम वैज्ञानिक विभिन्न रूपों में काम करता है। विमानन सेवाओं के निर्देशन का काम करने वाले एअर ट्रैफिक कंट्रोल रूम को मौसम विज्ञानी मौसम संबंधी जानकारियां उपलब्ध कराने के अलावा आम लोगों के लिए भी रोजाना मौसम की जानकारियां जुटाते हैं।
प्रमुख जिम्मेदारियां: क्लाइमेटोलॉजी : इस शाखा में किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है। कुछ महीनों के लिए किसी एक क्षेत्र में अध्ययन कर उस क्षेत्र के जलवायु प्रभाव और उससे होने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से शोध किया जाता है। सिनॉप्टिक मीटिअरोलॉजी : इसमें कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, अन्य मौसम तंत्र, चक्रवात, दबाव स्तर एवं इसमें एकत्र किया जाने वाला मानचित्र जोकि पूरे विश्व के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है आदि की जानकारी मिलती है। डाइनेमिक मीटिअरोलॉजी : इसमें गणितीय सूत्रों के जरिए वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। दोनों को साथ साथ होने के कारण इसे न्यूमेरिक मॉडल भी कहा जाता है। फिजिकल मीटिअरोलॉजी : इसमें सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन एवं वायुमंडलीय व्यवस्था आदि को शामिल किया जाता है।
एग्रीकल्चर मीटिअरोलॉजी : इसमें फसलों की पैदावार एवं उससे होने वाले नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन करते हैं। अप्लाइड मीटिअरोलॉजी : इसके अंतर्गत मीटिअरोलॉजिस्ट किसी विशेष कार्य जैसे एअरकॉफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिंग, एअर कंडिशनिंग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं।
यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु
आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम
कोचिन विश्वविद्यालय, कोच्चि
आइआइटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला
मणिपुर विश्वविद्यालय, इंफल
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर<br />
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे
योग्यता: मौसम विज्ञान में करिअर बनाने के इच्छुक छात्र मौसम विज्ञान एवं समुद्र विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ ही मीटिअरोलॉजी में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा कर सकते हैं। मीटिअरोलॉजी में मास्टर प्रोग्राम के तौर पर उपलब्ध दो वर्षीय एमएससी और एमटेक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए स्नातक का होना आवश्यक है। संस्थानों के अनुसार मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अंक संबंधी अर्हताएं भी अलग-अलग हैं। कुछ संस्थानों में इसके लिए न्यूनतम अंक सीमा 50 फीसद है, तो कुछ में 55 या 60 फीसद। दाखिले की प्रक्रिया में स्नातक के अंकों के अलावा प्रवेश परीक्षा में मिले अंकों को भी महत्त्व दिया जाता है।
अवसर: उद्योगों में भी मौसम विज्ञान का बहुत इस्तेमाल होने लगा है। युवा बतौर औद्योगिक मौसम विज्ञानी (इंडस्ट्रियल मीटिअरोलॉजिस्ट) के रूप में करिअर बना सकते है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण में लगातार बढ़ते प्रदूषण को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें मौसम वैज्ञानियों का सबसे अधिक महत्त्व है। परिवहन क्षेत्रों में बढ़ते वायु एवं जलयानों के उपयोग ने भी इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को पैदा किया है। इनके सफल संचालन के लिए मौसम पर विशेष निगाह रखी जाती है, जिसका पूरा कार्यभार मौसम वैज्ञानिकों पर होता है। विभिन्न क्षेत्रों में स्थित मौसम विभाग के कार्यालयों और प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त सिविल एविएशन, शिपिंग और सेना में मौसम सलाहकार के पद होते हैं। मौसम वैज्ञानिक विभिन्न उपकरणों से मिलने वाली जानकारियों को एकत्रित कर खराब मौसम जैसे तूफान, बाढ़ और सुनामी जैसी विपदाओं के आने का पूर्वानुमान लगाते हैं। मौसम विज्ञान का सबसे ज्यादा दायरा सरकारी क्षेत्र में ही है, क्योंकि मौसम संबंधी सूचना जारी करने का सारा कामकाज सरकारी नियंत्रण में है। करिअर के लिहाज से निजी क्षेत्र में भी अब मौसम विशेषज्ञों को रखा जाने लगा है। निजी कंपनियां मौसम संबंधी जानकारियां जुटाने के लिए अपने यहां मौसम विशेषज्ञों को रखती हैं।
मौसम विज्ञान का क्षेत्र बहुत ही चुनौतिपूर्ण है लेकिन लोगों को सटिक सूचनाएं पहुंचाकर उनके जानोमाल को बचाने में मदद करना एक सुकून देने वाला कार्य है। पहले मौसम विज्ञानियों की नियुक्ति सिर्फ सरकारी विभागों में ही होती थी लेकिन अब मौसम सूचनाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। अब विभिन्न निजी कंपनियां भी इस जानकारी की मांग करने लगी हैं जिससे इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं।
– लक्ष्मण सिंह राठौड़, पूर्व महानिदेशक, आइएमडी