UPSC Success Story: सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए सालों की मेहनत और मजबूत इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। ‌कई बार सभी संसाधन होने के बावजूद भी अभ्यर्थी यूपीएससी एग्जाम नहीं क्रैक कर पाते हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो रास्ते में आने वाली तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी हार नहीं मानते और सफलता का परचम लहराते हैं। आज हम आपको सतेंद्र सिंह की ऐसे ही एक प्रेरणादायक कहानी बताएंगे…

सतेंद्र सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा के रहने वाले हैं। उनका बचपन संघर्षों के बीच गुजरा है। किसी तरह खेती किसानी से उनका घर चलता था। जब सतेंद्र महज दो साल के थे तो निमोनिया के चलते उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई थी। आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से बीमारी का इलाज करा पाना मुश्किल था। सत्येंद्र ने किसी तरह 12वीं की परीक्षा पास की थी।

डीयू और जेएनयू से की पढ़ाई

दृष्टिहीन होने के बावजूद भी सतेंद्र के जज्बे में कमी नहीं आई। आगे की पढ़ाई के लिए वह अमरोहा से दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने मुखर्जी नगर स्थित एक सरकारी संस्थान में ब्रेल लिपि पर अपनी पकड़ मजबूत की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएशन किया।

पहले असिस्टेंट प्रोफेसर और फिर बनें आईएएस

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर्स और एमफिल-पीएचडी करने के बाद सतेंद्र अरबिंदो कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए थे। वह ‌यहीं नहीं रुके। नौकरी के बाद उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। कड़ी मेहनत और लगन के चलते साल 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 714वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद साल 2021 में उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और इस बार उनका चयन आईएएस के लिए हुआ। इस कामयाबी से उन्होंने न केवल अपना बल्कि परिवार वालों का नाम भी रोशन कर दिया है।