संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) जल्द ही अपनी परीक्षाओं में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के लिए आधार- आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण लागू कर सकता है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग द्वारा यह कदम अभ्यर्थियों द्वारा किए जाने वाले गलत आचरण को रोकने के लिए उठाया जा रहा है। हालांकि, इसका सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा 2025 पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जो यूपीएससी सूत्रों के अनुसार रविवार को 80 केंद्रों पर आयोजित होने वाली है, जिसमें लगभग 9.5 लाख छात्रों के शामिल होने की उम्मीद है।
क्या कहती है रिपोर्ट ?
निविदा दस्तावेज के अनुसार, आयोग ने पिछले साल जून में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से “आधार आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण / डिजिटल फिंगरप्रिंट कैप्चरिंग और उम्मीदवारों की चेहरे की पहचान, ई-एडमिट कार्ड की क्यूआर कोड स्कैनिंग और लाइव एआई-आधारित सीसीटीवी निगरानी” के लिए बोलियां आमंत्रित करके परियोजना की शुरुआत की थी।
इसके बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 28 अगस्त, 2024 को अधिसूचित किया था कि यूपीएससी को “वन टाइम रजिस्ट्रेशन’ पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा/भर्ती परीक्षण के विभिन्न चरणों में उम्मीदवारों की पहचान के सत्यापन के लिए स्वैच्छिक आधार पर हां/नहीं या/और ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग करके आधार प्रमाणीकरण करने की अनुमति है।”
यूपीएससी अध्यक्ष ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
परियोजना की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर यूपीएससी के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह जून से शुरू होने वाली सभी परीक्षाओं के लिए शुरू की जाएगी।”
यूपीएससी द्वारा की गई प्रमुख मांगें
यूपीएससी केंद्र सरकार में ग्रुप ए और ग्रुप बी के पदों के लिए 14 प्रमुख परीक्षाओं के साथ-साथ भर्ती परीक्षाएं और साक्षात्कार आयोजित करता है। अपने निविदा दस्तावेज के अनुसार, यूपीएससी ने अभ्यर्थियों के आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण और चेहरे की पहचान तथा छद्मवेश को रोकने के लिए क्यूआर कोड के साथ ई-प्रवेश पत्रों की स्कैनिंग, तथा धोखाधड़ी की जांच के लिए परीक्षा के दौरान एआई-आधारित सीसीटीवी निगरानी की मांग की है।
पूजा खेडकर मामले के बाद एक्टिव हुआ यूपीएससी
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब यूपीएससी पूजा खेडकर के मामले को लेकर जांच का सामना कर रहा है। पूजा एक पूर्व आईएएस प्रोबेशनर हैं, जिन्हें जालसाजी और कदाचार के आरोपों के बाद पिछले साल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। यूपीएससी ने जुलाई 2024 में सीएसई 2022 के लिए खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और कहा था कि वह अधिकतम अनुमत प्रयासों से अधिक बार परीक्षा में शामिल हुई थीं और उन्होंने अपने और अपने माता-पिता के अलग-अलग नामों से आवेदन किया था। इसके बाद डीओपीटी ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। खेडकर ने आरोपों से इनकार किया है तथा अदालत में फैसले को चुनौती दी है।
मामले के बाद, यूपीएससी ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक अनुशंसित उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त प्रयासों की संख्या के आंकड़ों की जांच की थी। “इस विस्तृत अभ्यास के बाद, सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर, किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत अनुमत संख्या से अधिक प्रयासों का लाभ उठाते हुए नहीं पाया गया है।
पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के एकमात्र मामले में, यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उनके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी कि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। यूपीएससी एसओपी को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा न हो, “यूपीएससी ने पिछले साल 31 जुलाई को एक बयान में कहा था।