किसी ने सच कहा है कि सफलता के लिए रुपए-पैसे की नहीं बल्कि दृढ़ निश्चय पर विश्वास की जरूरत होती है और अगर किसी काम को करने का दृढ़ निश्चय और विश्वास है तो कितनी भी अड़चनें क्यों ना आ जाए जीत हमेशा आपकी होती है। इसी बात को सच साबित करते हुए कानपुर के 2 छात्रों ने कानपुर का नाम रोशन करते हुए अपने सपने को साकार करने के लिए एक कदम आगे बढ़ा दिया है जबकि दोनों छात्रों को पढ़ाई करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है आइए आपको बताते हैं हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा में टॉप टेन की सूची में रहे कानपुर की 2 छात्रों ने जनसत्ता से बातचीत करते हुए क्या कहा.जनसत्ता से बातचीत के दौरान हाईस्कूल परीक्षा में छठी रैंक लाने वाले कल्याणपुर निवासी उत्कर्ष यादव अपनी सफलता के पीछे माता-पिता के अलावा गुरूओं को श्रेय दे रहा है।उत्कर्ष की छोटी बहन है जो नौंवी की छात्रा है।बताया कि घर की आर्थिक स्थित ठीक नहीं होने के चलते कभी ट्यूशन नहीं लिया।

स्कूल के टीचरों ने जो पढ़ाया उसे किताबों में उकेरा और खुद के बल पर तैयारी की।बताया कि इंटरमीडिएट करने के बाद आईआईटी और फिर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर आईएएस बनना चाहता हूं। उत्कर्ष ने बताया कि उनके पिता प्राईवेट फैक्ट्री में नौकरी करते हैं और चार लोगों के परिवार को गुजर-बसर उनकी दस हजार के वेतन से चलता है।कहा कि पारिवारिक स्थित बहुत अच्छी नहीं है पर मेहनत कर आईएएस बनकर देश के गरीबों की सेवा करने का सपना है।कहा कि उनको उनकी पढ़ाई के अनुसार सफलता मिली है।जबकि ऐसा पहली बार हुआ है जब सीसीटीवी की निगरानी में परीक्षा कराई गयी है। जिसकी वजह से नक़ल नहीं हो पायी है।कुछ इसी तरह इंटरमीडिएट में चौथा स्थान पाने वाले छात्र शुभम की माने तो उन्हें उनकी मेहनत का फल मिला है और आगे एैसा होता रहा तो देश में शिक्षा का स्तर बहुत बेहतर हो जाएगा।शुभम ने बताया कि उसका सपना है कि डॉक्टर बनकर देश सेवा करे। कहा कि पिता टेंट हाउस में नौकरी करते हैं और कई-कई दिन घर नहीं आते।

माता और बड़ी बहन उन्हें पढ़ाती हैं।आज जब परिणाम आया तब भी पिता सुनील दीक्षित टेंट की बल्लियां उखाड़ रहे थे।शुभम ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर आज भी गरीबों का ठीक से इलाज नहीं करते,जिनके चलते हजारों लोगों की मौत हो जाती है।अगर मैं डॉक्टर बना और एक मरीज की जान बचाई तो अपने-आप को सबसे धनी इंसान समझूंगा।लेकिन बातचीत करते हुए दोनों ही छात्रों की आंखों में खुशी के आंसू थे और पढ़ाई में आए संघर्ष उनकी बातों में साफ झलक रहा था लेकिन दोनों के दृढ़ निश्चय है उनके लिए सफलता के रास्ते खोल दिए.