यूजीसी ने यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के एग्जाम कराने के बारे में पहले ही साफ कर दिया है कि बिना एग्जाम के डिग्री नहीं दी जाएगी। वहीं बाकी बचे हुए स्टूडेंट्स को पिछली पर्फोर्मेंस के आधार पर प्रमोट कर दिया गया है। भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयार हैं। आयोग का निर्देश है कि परीक्षाएं 30 सितंबर से पहले पूरी हो जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सभी राज्य बोर्ड बारी बारी से एग्जाम की डेट्स जारी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के पक्ष में फैसला सुनाते वक्त कहा था कि जिन यूनिवर्सिटी को एग्जाम को लेकर कोई दिक्कत है तो वह सीधे यूजीसी से सम्पर्क कर सकता है। UGC ने कहा है कि जारी की गई गाइडलाइंस के जरिए ‘देश भर के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की रक्षा करना है जो कि उनके अंतिम वर्ष / टर्मिनल सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होने पर होगी, जबकि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान भी ध्यान में रखा गया है।’
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा जब महामारी की स्थिति नियंत्रण में होगी। हालांकि, छात्रों ने आयोग के इस फैसले पर भी असहमति जताई है।
श्याम दीवान ने कहा कि यह अनिवार्य नहीं किया जा सकता है, खासतौर पर महाराष्ट्र में जहां कुछ कॉलेजों को कोरोनावायरस संक्रमण के लगातार सामने आ रहे मामलों के चलते क्वारनटाइंन सेंटर बना दिया गया है।
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों के पास तो परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित करने के लिए आवश्यक आईटी इंफ्रास्ट्रक्टर ही नहीं है। साथ ही, भौतिक रूप से परीक्षाएं कोविड-19 के कारण आयोजित नहीं की जा सकती हैं।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव था जिसने यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर ग्रेस मार्क्स से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।
कलकत्ता विश्वविद्यालय ने सोमवार को जानकारी दी है यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा डिजिटल मोड से ली जाएगी। डिजिटल मोड पर प्रश्नपत्रों का जवाब देने के छात्रों को दो घंटे का समय दिया जाएगा।
कामधेनु विश्वविद्यालय (केयू) के साथ गुजरात राज्य के चार अलग-अलग कृषि विश्वविद्यालयों के 11 कॉलेजों को लाने का एक विधेयक गुरुवार देर रात गुजरात विधानसभा में बहुमत से पारित हो गया। अब 11 कॉलेज यूनिवर्सिटी के साथ जुड़ेंगे।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव था जिसने यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर ग्रेस मार्क्स से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत को यह भी कहा था कि राज्य नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य से बाध्य है। वकील ने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया था कि दक्षिण बंगाल के जिले चक्रवात अम्फान से प्रभावित हुए हैं और कोरोना का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में परीक्षा आयोजित करा पाना बेहद मुश्किल काम है।
अदालत में UGC ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि देशभर के विश्वविद्यालयों को आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। इसलिए कोई भी राज्य सरकार आयोग के निर्देशों के खिलाफ परीक्षा रद्द करने का फैसला नहीं ले सकती। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के तर्क को सही ठहराया है।
अदालत द्वारा जारी फैसले के अनुसार, कॉलेज/यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के एग्जाम स्थगित तो किए जा सकते हैं मगर परीक्षाएं रद्द नहीं की जा सकती और न ही छात्रों को इंटर्नल मार्क्स के आधार पर पास किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालयों को सितंबर में टर्म-एंड परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होने वाले छात्रों के लिए संभव होने पर "विशेष परीक्षा के लिए" परीक्षा आयोजित करने की अनुमति भी दी है।
प्राइवेट छात्र अपने प्रश्न पत्र को वेबसाइट से या परीक्षा शाखा (पंजाबी विश्वविद्यालय) के वेब लिंक पर अपने एडमिट कार्ड से डाउनलोड कर सकते हैं। स्नातक कक्षाओं के छात्रों के लिए परीक्षा सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक होगी।
पंजाब यूनिवर्सिटी की परीक्षा के दिन, क्वेश्चन पेपर ईमेल के माध्यम से या व्हाट्सएप के माध्यम से या विभाग या कॉलेज की वेबसाइट पर छात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसलिए, छात्रों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने विभागों /कॉलेजों के साथ निरंतर संपर्क में रहें ताकि निर्देशों का ठीक से पालन किया जा सके।
पंजाब सरकार द्वारा महामारी के दौरान फाइनल ईयर की परीक्षाएं देने के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए जाने के कुछ दिनों बाद अब पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला ने 25 सितंबर से शुरू होने वाली परीक्षाओं के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। विश्वविद्यालय ने कहा कि हर विभाग/ कॉलेज अपने स्तर पर अंतिम वर्ष / सेमेस्टर के अपने नियमित/ प्राइवेट छात्रों की परीक्षा आयोजित करेगा।
तमिलनाडु में, टर्मिनल परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को छोड़कर, बीए, बीएससी, एमए, एमएससी, बीई / बीटेक, एमई / एमटेक, एमसीए और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को अगले शैक्षणिक वर्ष में प्रमोट किया गया।
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सिंघवी ने कहा था कि कई विश्वविद्यालयों के पास तो परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित करने के लिए आवश्यक आईटी इंफ्रास्ट्रक्टर ही नहीं है। साथ ही, भौतिक रूप से परीक्षाएं कोविड-19 के कारण आयोजित नहीं की जा सकती।
कलकत्ता विश्वविद्यालय 01 अक्टूबर और 18 अक्टूबर के बीच अपने संबद्ध कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में जानकारी दी।
देश में हो रही परीक्षाओं पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि केवल उन्हीं परीक्षा केंद्रों पर एग्जाम कराने की अनुमति है जो कंटेनमेंट ज़ोन में नहीं आते हैं। कंटेनमेंट ज़ोन से आ रहे परीक्षार्थियों और स्टाफ को एग्जाम सेंटर में एंट्री की अनुमति नहीं होगी।
अदालत ने यह माना है कि राज्यों और विश्वविद्यालयों को छात्रों को प्रमोट करने के लिए और डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा आयोजित करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन यूजीसी की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करेंगे।
31 याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव था जिसने यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर ग्रेस मार्क्स से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत को यह भी कहा था कि राज्य नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य से बाध्य है। वकील ने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया था कि दक्षिण बंगाल के जिले चक्रवात अम्फान से प्रभावित हुए हैं और कोरोना का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में परीक्षा आयोजित करा पाना बेहद मुश्किल काम है।
अदालत में UGC ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि देशभर के विश्वविद्यालयों को आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। इसलिए कोई भी राज्य सरकार आयोग के निर्देशों के खिलाफ परीक्षा रद्द करने का फैसला नहीं ले सकती। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के तर्क को सही ठहराया है
अदालत द्वारा जारी फैसले के अनुसार, कॉलेज/यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के एग्जाम स्थगित तो किए जा सकते हैं मगर परीक्षाएं रद्द नहीं की जा सकती और न ही छात्रों को इंटर्नल मार्क्स के आधार पर पास किया जा सकता है।
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों के पास तो परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित करने के लिए आवश्यक आईटी इंफ्रास्ट्रक्टर ही नहीं है। साथ ही, भौतिक रूप से परीक्षाएं कोविड-19 के कारण आयोजित नहीं की जा सकती हैं।
कर्नाटक HC ने कहा कि, अंतिम परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण है। इसलिए दूसरी एजेंसियों को छात्रों के हित में कदम उठाना चाहिए। आपको उन केंद्रीय विश्वविद्यालयों का अध्ययन करना चाहिए जिन्होंने परीक्षा आयोजित की है।
तमिलनाडु सरकार ने कोविड -19 संकट के कारण परीक्षा आयोजित के बिना, अंतिम वर्ष के छात्रों को छोड़कर, बाकी सभी कॉलेज स्टूडेंट्स को पास कर अगली क्लास के लिए प्रमोट किया था। इन छात्रों को मई 2020 में होने वाली सेमेस्टर परीक्षा लिखने से छूट दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने डीएम एक्ट के तहत विश्वविद्यालय परीक्षा रद्द करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बिना छात्रों को प्रोमोट नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य परीक्षा रद्द कर सकते हैं मगर बगैर परीक्षा के छात्रों को प्रोमोट नहीं कर सकते। UGC के दिशानिर्देश बदले नहीं जाएंगे।
UGC के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी बगैर परीक्षा कराए छात्रों को प्रोमोट कर डिग्री नहीं दे सकती इसलिए UGC की गाइडलाइंस में कोई बदलाव नहीं होगा।
कलकत्ता विश्वविद्यालय ने सोमवार को जानकारी दी है यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा डिजिटल मोड से ली जाएगी। डिजिटल मोड पर प्रश्नपत्रों का जवाब देने के छात्रों को दो घंटे का समय दिया जाएगा।
कोई भी छात्र, जो अंतिम सेमेस्टर के लिए परीक्षा शुल्क और फॉर्म जमा कर चुका है, लेकिन किसी भी तरह से परीक्षा क्षेत्र में रहने के कारण परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं या कोरोना पॉजिटिव हैं, वे अपने कॉलेज या यूनिवर्सिटी को पहले इस बारे में सूचित कर दें।
यदि छात्र के पास आंसर शीट को स्कैन करने या पीडीएफ के रूप में एक फाइल भेजने के लिए संसाधन नहीं हैं, तो वह निकटतम विभाग/ कॉलेज/ संस्थान या क्षेत्रीय केंद्र में निर्धारित समय में अपनी आंसर शीट जमा कर सकते हैं।
प्रत्येक छात्र को प्रश्न पत्र के कुल प्रश्नों का कम से कम 50 प्रतिशत हल करना होगा। पेपर हल करने के बाद, उम्मीदवार अपनी आसंर शीट स्कैन करके एक pdf फाइल बनाएंगे। यह pdf फाइल विभाग/ कॉलेज द्वारा दी गई ईमेल पर भेजनी होगी।
छात्र द्वारा उपयोग किए गए कुल पेज आंसर शीट के पहले पेज पर लिखने होंगे। छात्र आंसर शीट के अंत में यह भी सत्यापित करेगा कि यह पेपर केवल उसकी स्वयं की लिखावट में है। छात्र प्रत्येक पेज पर पेज नंबर भी लिखेंगे।
दृष्टिबाधित/ दिव्यांग छात्रों को पेपर हल करने के लिए 40 मिनट अतिरिक्त दिए जाएंगे। हालांकि, उम्मीदवार अपने पेपर लिखने के लिए अपने राइटर्स की व्यवस्था स्वयं करेंगे।
प्राइवेट छात्र अपने प्रश्न पत्र को वेबसाइट से या परीक्षा शाखा (पंजाबी विश्वविद्यालय) के वेब लिंक पर अपने एडमिट कार्ड से डाउनलोड कर सकते हैं। स्नातक कक्षाओं के छात्रों के लिए परीक्षा सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक होगी।
परीक्षा के दिन, क्वेश्चन पेपर ईमेल के माध्यम से या व्हाट्सएप के माध्यम से या विभाग या कॉलेज की वेबसाइट पर छात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसलिए, छात्रों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने विभागों /कॉलेजों के साथ निरंतर संपर्क में रहें ताकि निर्देशों का ठीक से पालन किया जा सके।
पंजाब सरकार द्वारा महामारी के दौरान फाइनल ईयर की परीक्षाएं देने के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए जाने के कुछ दिनों बाद अब पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला ने शनिवार को 25 सितंबर से शुरू होने वाली परीक्षाओं के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। विश्वविद्यालय ने कहा कि हर विभाग/ कॉलेज अपने स्तर पर अंतिम वर्ष / सेमेस्टर के अपने नियमित/ प्राइवेट छात्रों की परीक्षा आयोजित करेगा।