बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के महत्व पर जोर देते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों से पसंद आधारित क्रेडिट प्रणाली के तहत जेनेरिक इलेक्टिव विषय के तौर पर इसकी पेशकश करने को कहा है। विश्वविद्यालयों को भेजे पत्र में यूजीसी के सचिव जसपाल एस संधू ने कहा है कि बौद्धिक तौर पर होने वाले सृजन जैसे आविष्कार, औद्योगिक वस्तुओं के लिए डिजाइन, साहित्यिक कार्य, कलात्मक कार्य, प्रतीक, नाम और चित्र इत्यादि बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत आते हैं।
इस पत्र में कहा गया है कि आईपीआर के महत्व को पहली बार 1883 में औद्योगिक संपदा के संरक्षण विषय पर पेरिस में हुए सम्मेलन में और साहित्यिक तथा कलात्मक कार्य के संरक्षण के लिए 1886 में हुए बर्न सम्मेलन में पहचाना गया था। पत्र में आगे कहा गया है कि सृजनकर्ता को प्रोत्साहित करने के लिए आईपीआर का संरक्षण होना चाहिए। सृजनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता लानी जरूरी है और नई खोज करने वालों तथा जनहित के बीच संतुलन साधने की भी जरूरत है।
पत्र में आगे कहा गया है, ‘सृजनकर्ता के काम को पहचान देने वाले आईपीआर के महत्व को ध्यान में रखते हुए आपसे निवेदन किया जाता है कि अकादमिक परिषद की मदद से आपके विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में पसंद आधारित क्रेडिट प्रणाली के तहत आईपीआर को जेनेरिक वैकल्पिक विषय के तौर पर शामिल किया जाए।’