देशभर की यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर के छात्र अभी भी संशय की स्थिति में हैं कि उनके फाइनल ईयर के एग्जाम आयोजित किए जाएंगे या नहीं। जहां पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को बगैर परीक्षा के ही अगले साल के लिए प्रोमोट कर दिया गया है, वहीं फाइनल ईयर के छात्रों के साथ ऐसा नहीं है। यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन देशभर की यूनिवर्सिटी को गाइडलाइंस जारी कर चुका है कि फाइनल ईयर के लिए 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित कर ली जानी चाहिए।
UGC Guidelines 2020 Live Updates: Check Here
आयोग ने यूनिवर्सिटी को ऑनलाइन, ऑफलाइन अथवा मिक्सड तरीके से परीक्षा आयोजित करने की छूट भी दी है। हालांकि, छात्र और कई विश्वविद्यालय UGC के इस फैसले से खुश नहीं है और परीक्षाएं रद्द कराने के मांग को लेकर छात्र सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। अदालत में मामले की सुनवाई जारी है और अब जल्द आयोग की तरफ से अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। ताजा अपडेट्स के लिए छात्र इस पेज पर बने रहें।
Sarkari Naukri Job 2020 LIVE Updates: Check Here
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जो कि सितंबर तक परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से आयोजित करने के लिए कहते हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर में होंगी। जिसे 13 राज्यों और यूटी के 31 याचिकाकर्ताओं ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
छात्रों ने हैशटैग #StudentsAgainstStateAutonomy के साथ एक ट्विटर पर एक अभियान चलाया है जिसमें वरुण सरदेसाई, आदित्य ठाकरे, अभिषेक सिंघवी, महाराष्ट्र छात्र संघ शामिल हैं। वे भारत भर के छात्रों से आगे आकर अपनी शिक्षा और अपने भविष्य के लिए बोलने की अपील कर रहे हैं।
UGC ने कहा है कि जारी की गई गाइडलाइंस के जरिए 'देश भर के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की रक्षा करना है जो कि उनके अंतिम वर्ष / टर्मिनल सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होने पर होगी, जबकि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान भी ध्यान में रखा गया है।'
स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
देश में तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।
देश में तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
देश में तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयार हैं। आयोग का निर्देश है कि परीक्षाएं 30 सितंबर से पहले पूरी हो जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता छात्र आंतरिक अंक और पिछले मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाओं को रद्द करने और डिग्री और मार्कशीट जारी करने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।
यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन का निर्देश दिया है क्योंकि आयोग ने यह महसूस किया कि सीखना एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान को आंकने का एकमात्र तरीका है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करने वाला है।
UGC ने कॉलेजों को यह सुविधा दी है कि जो छात्र परीक्षा में शामिल न हो सकें उनके लिए स्पेशल एग्जाम आयोजित किए जाएं। इसे लेकर भी छात्रों में असंतोष है।
ट्विटर पर छात्रों ने इस तरह विरोध दर्ज किया है।
छात्रों ने हैशटैग #StudentsAgainstStateAutonomy के साथ एक ट्विटर पर एक अभियान चलाया है जिसमें वरुण सरदेसाई, आदित्य ठाकरे, अभिषेक सिंघवी, महाराष्ट्र छात्र संघ शामिल हैं। वे भारत भर के छात्रों से आगे आकर अपनी शिक्षा और अपने भविष्य के लिए बोलने की अपील कर रहे हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर में होंगी। जिसे 13 राज्यों और यूटी के 31 याचिकाकर्ताओं ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जो कि सितंबर तक परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से आयोजित करने के लिए कहते हैं।
शिवसेना की युवा शाखा 'युवा सेना' द्वारा दायर याचिकाओं सहित यूजीसी ने 50 पन्नों का एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें लगातार कोरोनोवायरस (COVID-19) के बीच सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के लिए 6 जुलाई को जारी अपने दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई है।
आयोग का कहना है कि फाइनल ईयर के एग्जाम बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। कॉलेज या यूनिवर्सिटी अपनी सुविधा के आधार पर ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम में परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।
याचिकाकर्ता छात्र आंतरिक अंक और पिछले मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाओं को रद्द करने और डिग्री और मार्कशीट जारी करने की मांग कर रहे हैं।
छात्रों, शिक्षाविदों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विरोध के बावजूद, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पहले ट्विटर के जरिए कहा था कि, “किसी भी शिक्षा मॉडल में, मूल्यांकन सबसे महत्वपूर्ण होता है। परीक्षा में प्रदर्शन छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है।”
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालयों को सितंबर में टर्म-एंड परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होने वाले छात्रों के लिए संभव होने पर "विशेष परीक्षा के लिए" परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी है।
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु के सम्मानित मुख्यमंत्रियों ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर UGC के दिशानिर्देशों को लागू न करने की मांग की थी। ये वह राज्य हैं जहां कोरोना संक्रमण की हालत बेहद खराब है।
यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन का समर्थन किया है क्योंकि यह महसूस किया कि सीखने की एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान को आंकने का एकमात्र तरीका है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करने वाला है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, UGC ने स्पष्ट किया है कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से हो सकती हैं मगर समय पर होनी चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय, डीयू की ओबीई परीक्षाओं को चुनौती देने वाले मामले में प्रश्नों को संबोधित करते समय यूजीसी द्वारा प्रस्तुति आधारित मूल्यांकन के विकल्प को खारिज कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों द्वारा दायर मामले में उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया, जिसमें यूजीसी दिशानिर्देशों को अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के लिए चुनौती दी गई।
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु के सम्मानित मुख्यमंत्रियों ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर UGC के दिशानिर्देशों को लागू न करने की मांग की थी। ये वह राज्य हैं जहां कोरोना संक्रमण की हालत बेहद खराब है।
असम के याचिकाकर्ताओं में से एक, भस्वाती चौधरी ने कहा, "यह वंचित वर्ग के कई छात्रों पर निर्भर करता है, जो अगर ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करते हैं, तो वे स्मार्टफोन या लैपटॉप की अनुपलब्धता के कारण प्रदर्शित नहीं हो पाते हैं।"
छात्र चाहते हैं कि उनके परिणाम पिछले प्रदर्शन और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर हों। क्योंकि स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान 31 अगस्त तक बंद हैं और IIT, NLUs, CBSE, ICAI ने भी अपनी परीक्षा रद्द कर दी है।
UGC ने कहा है कि जारी की गई गाइडलाइंस के जरिए 'देश भर के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की रक्षा करना है जो कि उनके अंतिम वर्ष / टर्मिनल सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होने पर होगी, जबकि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान भी ध्यान में रखा गया है।'
छात्रों, शिक्षाविदों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विरोध के बावजूद, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पहले ट्विटर के जरिए कहा था कि, “किसी भी शिक्षा मॉडल में, मूल्यांकन सबसे महत्वपूर्ण होता है। परीक्षा में प्रदर्शन छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है।”
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा जब महामारी की स्थिति नियंत्रण में होगी।
केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर में होंगी। जिसे 13 राज्यों और यूटी के 31 याचिकाकर्ताओं ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
छात्रों ने हैशटैग #StudentsAgainstStateAutonomy के साथ एक ट्विटर पर एक अभियान चलाया है जिसमें वरुण सरदेसाई, आदित्य ठाकरे, अभिषेक सिंघवी, महाराष्ट्र छात्र संघ शामिल हैं। वे भारत भर के छात्रों से आगे आकर अपनी शिक्षा और अपने भविष्य के लिए बोलने की अपील कर रहे हैं।
अब तक दो सुनवाई हो चुकी हैं। पहली 23 जुलाई को हुई थी लेकिन विभिन्न राज्यों की कुछ अतिरिक्त याचिकाओं के कारण एक राजनीतिक पार्टी द्वारा एक ही मुद्दे पर तारीख 31 जुलाई को पुनर्निर्धारित की गई थी। बाद में, सुनवाई 31 जुलाई को भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची और अगली सुनवाई 10 अगस्त को के लिए टाल दी गई।
सिंघवी ने कहा कि बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे। उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा। सिंघवी की इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि ये फैसला तो छात्रों के हित में ही दिखाई दे रहा है। फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए टाल दी है।
आयोग का कहना है कि फाइनल ईयर के एग्जाम बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। कॉलेज या यूनिवर्सिटी अपनी सुविधा के आधार पर ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम में परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।