शिक्षा मंत्रालय की ताज़ा यूडीआईएसई+ (UDISE+) रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार, पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले बच्चों में प्री-स्कूल अनुभव रखने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 में दाखिला लेने वाले 80% बच्चे (1.54 करोड़) ऐसे थे जिन्हें पहले से प्री-स्कूल या आंगनवाड़ी में पढ़ने का अनुभव था। यह आंकड़ा पिछले शैक्षणिक वर्ष 2023-24 की तुलना में बढ़ा है। तब पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले 73% बच्चों (1.37 करोड़) के पास प्री-स्कूल का अनुभव था।
निजी स्कूल आगे, सरकारी स्कूलों से ज्यादा बच्चों को मिला प्री-स्कूल अनुभव
रिपोर्ट के मुताबिक, पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों में निजी स्कूलों के 82% बच्चों को प्री-स्कूल अनुभव मिला, जबकि सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा 79% रहा है।
नई शिक्षा नीति का असर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत 2030 तक सभी बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Care and Education) तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत यह प्रावधान है कि हर बच्चा 5 साल की उम्र से पहले ‘बालवाटिका’ या ‘प्रेपरेटरी क्लास’ में पढ़ाई शुरू करेगा, जिसमें प्रारंभिक शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षक होंगे।
इसके साथ ही, मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि पहली कक्षा में दाखिला केवल 6 साल या उससे अधिक उम्र में ही दिया जाए। दिल्ली, कर्नाटक और केरल जैसे राज्य अगले सत्र से इस नियम को लागू करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।
आंकड़ों की तुलना
2024-25: 1.92 करोड़ बच्चों का दाखिला, जिनमें से 80% को प्री-स्कूल अनुभव।
2023-24: 1.87 करोड़ बच्चों का दाखिला, जिनमें से 73% को प्री-स्कूल अनुभव।
2022-23: 2.16 करोड़ बच्चों का दाखिला, जिनमें से 77% को प्री-स्कूल अनुभव।
2018-19 से 2021-22: प्री-स्कूल अनुभव वाले बच्चों का प्रतिशत 41% से 53% के बीच।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि 6 साल की उम्र सीमा लागू होने से पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले अधिकतर बच्चों को पहले से प्री-स्कूल शिक्षा का अनुभव रहेगा, जिससे सीखने की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही मंत्रालय निजी प्री-प्राइमरी संस्थानों को भी UDISE+ प्रणाली में शामिल करने की तैयारी कर रहा है।