सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे आठ हफ्तों के भीतर अदालत को यह बताएं कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने केंद्र सरकार को भी आठ हफ्तों में अनुपालन हलफनामा (Compliance Affidavit) दाखिल करने के लिए कहा है, जिसमें यह बताया जाए कि दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं।
क्या है मामला ?
यह मामला शीर्ष अदालत के 25 जुलाई 2025 के फैसले के अनुपालन से जुड़ा है। उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश दो महीने के भीतर नियम अधिसूचित करें, जिनमें प्राइवेट कोचिंग सेंटरों के पंजीकरण, छात्रों की सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र की व्यवस्था अनिवार्य हो।
यह मामला उस अपील से जुड़ा है, जो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 17 वर्षीय नीट अभ्यर्थी की संदिग्ध मौत की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा कि अब सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस मामले में पक्षकार होंगे और उन्हें आठ हफ्तों में अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करनी होगी। अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताते हुए इसे “गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट” बताया था और इसके समाधान के लिए देशव्यापी 15 दिशा-निर्देश जारी किए थे। अदालत ने कहा था कि जब तक कोई उपयुक्त कानून या नियामक ढांचा नहीं बनता, तब तक ये दिशानिर्देश बाध्यकारी रहेंगे।
इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि सभी शैक्षणिक संस्थान एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति (Mental Health Policy) अपनाएं और उसे लागू करें। यह नीति ‘उम्मीद’ (Ummeed) ड्राफ्ट गाइडलाइन, ‘मनोदर्पण’ (Manodarpan) पहल और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरणा लेकर बनाई जानी चाहिए।
वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नीति हर साल समीक्षा कर अद्यतन की जाए और संस्थानों की वेबसाइट व नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाए।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने 2023 में ‘उम्मीद’ ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी की थी, जिसका उद्देश्य छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान ‘मनोदर्पण’ पहल के माध्यम से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा दिया गया था।
