देश में आठवीं कक्षा तक किसी भी छात्र को अनुत्तीर्ण नहीं करने से जुड़ी ‘नो डिटेंशन’ नीति को अब शायद राज्य सरकार जल्द ही बदल सकें क्योंकि शिक्षा से संबंधित एक शीर्ष सलाहकार निकाय ने इस बारे में निर्णय राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया। दूसरी तरफ, मानव संसाधन विकास मंत्रालय सीबीएसई की 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य बनाने को लेकर जल्द फैसला करेगा। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 64वीं बैठक में कई फैसले किए गए। बोर्ड की बैठक में अधिकतर राज्यों की यह शिकायत थी कि ‘नो डिटेंशन’ नीति के कारण पढ़ाई के नतीजों में गिरावट आ रही है और उन्होंने राय दी कि कक्षा पांच से कक्षा आठ तक परीक्षाएं कराई जानी चाहिए। बैठक के बाद जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सहमति बनी कि केंद्र सरकार उपयुक्त संशोधन ला सकती है जिससे राज्यों को ‘नो डिटेंशनल’ नीति की समीक्षा करने की आजादी मिल जाएगी।’
इससे पहले, सलाहकार बोर्ड द्वारा गठित की गई समितियों ने भी अनुशंसा की थी कि ‘नो डिटेंशन’ प्रावधान की समीक्षा होनी चाहिए।
यह बोर्ड शिक्षा से जुड़ा देश का सबसे बड़ा सलाहकार बोर्ड हैं और इसमें केंद्र एवं राज्यों की सहभागिता है। हालांकि इस बोर्ड के फैसले सिफारिशी होते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शायद ‘नो डिटेंशन’ नीति की समीक्षा से जुड़े मामले को कैबिनेट के पास भेजे।
जावड़ेकर ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय सीबीएसई स्कूलों के छात्रों के लिए 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य बनाने के संदर्भ में जल्द फैसला करेगा।