केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध विद्यालय अब 9वीं और 11वीं कक्षा के सेक्शन (वर्ग) में 40 के स्थान पर 45 विद्यार्थियों का पंजीकरण कर सकेंगे। इससे विद्यालयों को उन विद्यार्थियों के नामांकन में आ रही दिक्कतों से राहत मिल जाएगी, जहां सेक्शन में विद्यार्थियों की संख्या 45 तक है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 अक्तूबर है। इससे पहले कई स्कूल संगठनों ने मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय से कहा था कि सीबीएसई की ओर से हर सेक्शन के लिए विद्यार्थियों की संख्या 40 तक सीमित करने के कारण विद्यार्थियों का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। निर्धारित तिथि तक पंजीकरण न करने पर प्रति विद्यार्थी जुर्माने का भी प्रावधान है। सीबीएसई के मुताबिक, इस परेशानी का सामना सिर्फ उन विद्यालयों को करना पड़ रहा है जिन्होंने निर्धारित संख्या से ज्यादा विद्यार्थी कक्षाओं में रखे हैं और इसके लिए बोर्ड से अनुमति नहीं ली है। अधिकतम विद्यार्थियों और अधिकतम कक्षाओं की संख्या विद्यालय में मौजूद ढांचागत सुविधाओं पर निर्भर करती है।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्कूलों की ओर से आ रहे निवेदनों को देखते हुए हर सेक्शन में विद्यार्थियों की अधिकतम संख्या 45 स्वीकार कर ली गई है और अब ओएसिस सिस्टम एक सेक्शन में 45 विद्यार्थियों की गणना शामिल करेगा। अधिकारी ने बताया कि बोर्ड ने इस संबंध में अपने आॅनलाइन सिस्टम में भी आवश्यक बदलाव किया है और सभी क्षेत्रीय कार्यालयों से स्कूल प्रमुखों को सूचित करने को कहा है। इससे पहले बोर्ड में पंजीकरण के लिए सेक्शन के तहत अधिकतम 40 विद्यार्थियों की संख्या ही स्वीकार्य थी। अगर किसी भी विद्यालय में 9वीं और 11वीं के सेक्शन में छात्रों की संख्या से अधिक होती थी तो उन विद्यार्थियों का पंजीकरण नहीं हो पाता था।
लिखित और आतंरिक परीक्षा में कुल 33% पर पास होंगे दसवीं के विद्यार्थी
सीबीएसई कक्षा 10 के विद्यार्थियों को इस साल दी गई राहत को आगे भी जारी रख सकता है। शैक्षणिक सत्र 2017-18 में अनिवार्य हुई कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में पास होने के लिए विद्यार्थियों को लिखित और आतंरिक मूल्यांकन परीक्षा में कुल 33 फीसद अंकों की जरूरत थी। यही व्यवस्था सत्र 2018-19 और आगे भी जारी रह सकती है। पहले बोर्ड की ओर से कहा गया था कि यह व्यवस्था सिर्फ एक साल के लिए ही दी जा रही है। सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अभी इसको लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि लिखित और आतंरिक मूल्यांकन परीक्षा में कुल 33 फीसद अंकों की व्यवस्था आगे भी जारी रहे। शैक्षणिक सत्र 2016-17 तक बोर्ड परीक्षा 80 फीसद और आंतरिक मूल्यांकन के 20 फीसद अंकों में अलग-अलग 33 फीसद अंक लाने की अनिवार्यता थी।

