प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को पूरी दुनिया तक ले जाने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के रामानुजन कालेज में भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र की शुरुआत की जा रही है। इस केंद्र की शुरुआत गीता जयंती और महान वैज्ञानिक रामानुजन के जन्मदिवस के अवसर पर 22 दिसंबर को की जाएगी।
इसी दिन श्रीमद्भगवत-गीता प्रबोधन एवं प्रासंगिकता पर 20-दिवसीय प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम की भी शुरुआत होगी। रामानुजन कालेज के शासी निकाय के अध्यक्ष जिगर इनामदार ने बताया कि ‘भारतम्:’ भारतीय ज्ञान परंपरा अध्ययन, अनुसंधान और अध्ययन केंद्र’ के माध्यम से प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा की खोज से पूरी दुनिया लाभान्वित होगी। उन्होंने बताया कि इस केंद्र के तीन पहलू निर्धारित किए हैं।
पहला, कौन-कौन से ऐसे विषय हैं जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। दूसरा, उन विषयों के वर्तमान में कौन-कौन विशेषज्ञों या ज्ञाताओं को चिह्नित करना। और तीसरा, निर्धारित विषयों पर विशेषज्ञों के व्याख्यानों को रिकार्ड करना शामिल है। इनामदार ने बताया कि यह केंद्र अनुसंधान और अन्वेषण से प्राप्त महत्त्वपूर्ण ज्ञान को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने का कार्य करेगा।
यह केंद्र प्राचीन ज्ञान परंपराओं के अद्वितीय आलोक में समकालीन शिक्षा प्रणाली को भी आलोकित करेगा। केंद्र का लक्ष्य प्राचीन ग्रंथों और साहित्य के व्यवस्थित अध्ययन के माध्यम से भारतीय मूल्य प्रणाली से संबंधित ज्ञान का प्रसार और संरक्षण करना है। प्राचीन ज्ञान गंगा के मंथन से प्राप्त यह धरोहर, समसामयिक आवश्यकताओं व दीर्घकालीन उद्देश्यों की पूर्ति करेगी।
इस केंद्र के बहुमुखी दृष्टिकोण में न केवल ज्ञान का संरक्षण और प्रसार होगा बल्कि शिक्षकों और शिक्षार्थियों के साथ सक्रिय रूप से परस्पर विमर्श का एक मंच भी प्रदान करेगा। भारतीय ज्ञान प्रणाली पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और पाठ्यक्रमों के माध्यम से, ‘भारतम्:’ का उद्देश्य प्राचीन ग्रंथों की गहरी समझ और सार्थक बातचीत की सुविधा प्रदान करना है। ‘भारतम्: ’ वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक विषयों जो कि राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास के लिए आवश्यक हैं, का संवर्धन करके परंपरा और आधुनिकता के बीच की खाई को समाप्त करना चाहता है।
श्रीमद्भगवत-गीता पर 20-दिवसीय प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
इनामदार ने बताया कि 22 दिसंबर को ही केंद्र के पहले पाठ्यक्रम की शुरुआत होगी। आनलाइन और आफलाइन रूप से उपलब्ध श्रीमद् भगवत-गीता प्रबोधन एवं प्रासंगिकता पर 20-दिवसीय प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम का उद्घाटन स्वामी परमात्मानंद सरस्वती करेंगे। इस मौके पर निर्मलानंदनाथ महास्वामी भी उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम के दौरान गीता के आठ अध्यायों का विस्तृत रूप से पढ़ाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम श्रीमद्भगवद-गीता के प्रत्येक अध्याय को गहराई से जानने, उसके दार्शनिक प्रत्ययों को प्रस्तुत करता है। यह पाठ्यक्रम भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र के उद्देश्य के साथ आवयविक रूप से संबद्ध है, जो भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित चिंतन के संरक्षण और प्रसार के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
श्रीमद्भगवत गीता जीवन के लिए एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक है जो कर्तव्य, धर्म और आत्म-बोध के मार्ग पर महत्त्वपूर्ण, समयातीत सीखों को अपने में समाहित किए हुए है। इससे जुड़कर, प्रतिभागी न केवल अपनी आध्यात्मिक समझ को समृद्ध करेंगे बल्कि भारत की सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत से भी परिचित होंगे।