राजस्थान में कॉलेज शिक्षा के हाल बेहाल हैं। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है, बावजूद इसके सरकार 45 नए कॉलेज खोलने की घोषणा कर चुकी है। नए कॉलेजों के लिए भवनों की व्यवस्था भी सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। प्रदेश में पांच साल में 80 कॉलेज खोले गए हैं जिसमें 50 भवन विहीन है। राज्य में सरकार राजनीतिक दबावों के कारण कई छोटे-छोटे कस्बों में भी उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालयों की स्थापना करती जा रही है। सरकार द्वारा कॉलेज का खोला जाना अच्छा कदम है लेकिन उसके लिए मूलभूत बुनियादी सुविधाओं की तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है। स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए कॉलेजों में जो सुविधाएं होनी चाहिए उसका नितांत अभाव है। प्रदेश में पहले से ही करीब 500 कॉलेज हैं जिनमें 60 तो सिर्फ लड़कियों के ही हैं। जबकि दूसरे कॉलेजों में सह शिक्षा का प्रावधान है। वहीं इन कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
प्रदेश में कॉलेज शिक्षकों के 6419 पद अलग-अलग विषयों के स्वीकृत हैं। इनमें से 1800 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इन शिक्षकों के पदों को भरने के लिए सरकार ने अभी तक कोई कारगर व्यवस्था नहीं की है। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों की शैक्षणिक व्यवस्था शिक्षकों के अभाव में चरमरा गई है। शिक्षकों और भवनों की कमी के बावजूद सरकार ने इस वर्ष के बजट में 45 नए कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में बीए और एमए करने वाले विद्यार्थियों को किस गुणवत्ता की शिक्षा हासिल होगी। कई कॉलेजों ने अस्थायी शिक्षक की व्यवस्था भी की है। इसके बावजूद शिक्षकों की कमी को दूर करने में सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के बारे में सरकार गंभीरता से कार्ययोजना बना रही है। विद्यार्थियों की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आए, इसके लिए कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय को निर्देश दिए गए हैं। शिक्षकों की कमी पांच साल में पर्याप्त भर्ती नहीं होने के कारण सामने आई है। सरकार ने इस साल बजट में जो नए कॉलेज खोलने की घोषणा की है, वे इसी सत्र से शुरू हो जाएंगे। कॉलेजों के लिए भवन तय करने के बारे में संबंधित जिला कलेक्टरों को पत्र भेज दिए गए हैं।
इसके बाद उनमें प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।दूसरी तरफ राजस्थान विश्वविद्यालय और महाविद्यालय शिक्षक संघ का कहना है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सरकार कतई गंभीर नहीं है। संघ के अध्यक्ष नारायण लाल का कहना है कि सरकार हर साल नए कॉलेज खोल रही है। प्रदेश में पिछली भाजपा सरकार ने भी पांच साल में 80 से ज्यादा कॉलेज खोल दिए थे। उनकी हालत ही अभी तक नहीं सुधरी है। उनके लिए न तो भवन हैं और न ही पर्याप्त शिक्षक और न ही अन्य स्टाफ। उच्च शिक्षा का विस्तार जरूरी है पर साथ में सरकार को मूलभूत सुविधाओं पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। इससे ही प्रदेश के युवाओं को गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा मिल सकेगी। नए कॉलेज शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए।