राजस्थान के स्कूल शिक्षा और पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने शनिवार को कोटा शहर के गणेश नगर में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE), अजमेर अब 2026–27 शैक्षणिक सत्र से छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका देगा। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप लिया गया है ताकि छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम किया जा सके और उन्हें अपने प्रदर्शन को सुधारने का लचीलापन मिल सके।
कैसे होंगे परीक्षा के दो मौके ?
पहली परीक्षा: फरवरी–मार्च में मुख्य परीक्षा आयोजित होगी।
दूसरी परीक्षा: मई–जून में “अवसर परीक्षा” के रूप में होगी।
दोनों परीक्षाओं में पूरा सिलेबस समान रहेगा और जो छात्र पहली बार में पास हो जाते हैं, वे अधिकतम तीन विषयों में पुनः परीक्षा देकर अपने अंक सुधार सकते हैं। इसके साथ ही जो छात्र मुख्य परीक्षा में अनुपस्थित रहे, वे मेडिकल प्रमाण पत्र या जिला शिक्षा अधिकारी की अनुमति से दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
‘बेस्ट ऑफ टू’ नीति लागू होगी
योजना के अनुसार, छात्रों के दोनों प्रयासों में से जिस परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त होंगे, वही अंतिम परिणाम में शामिल किए जाएंगे। परीक्षा शुल्क दोनों प्रयासों के लिए समान रहेगा।
मंत्री दिलावर ने कहा, “यह कदम छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाएगा, परीक्षा तनाव को कम करेगा और उन्हें अपने भविष्य के लिए बेहतर अवसर देगा। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी छात्र एक असफल प्रयास के कारण पीछे न रह जाए।”
CBSE की तर्ज पर बदलाव
राजस्थान बोर्ड का यह कदम CBSE की नई परीक्षा नीति के समान है। CBSE ने भी 2025 से यह घोषणा की है कि कक्षा 10 और 12 की परीक्षाएं अब साल में दो बार होंगी और छात्र दूसरी बार में तीन विषयों तक में सुधार परीक्षा दे सकेंगे।
विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों ने इस बदलाव का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह प्रणाली छात्रों को “एक ही परीक्षा से करियर तय होने” के दबाव से मुक्त करेगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भी अपनी तैयारी बेहतर करने का एक और मौका मिलेगा।
निष्कर्ष
2026–27 से राजस्थान का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है। इससे लाखों छात्रों को दूसरा मौका, कम तनाव और बेहतर परिणाम का लाभ मिलेगा — जो वास्तव में “स्टूडेंट सेंट्रिक एजुकेशन सिस्टम” की दिशा में एक बड़ा कदम है।
