सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा के लिए नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने राज्य शिक्षा विभाग और शिक्षा बोर्ड से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि बच्चों को नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च ट्रेनिंग (NCERT) द्वारा प्रकाशित या निर्धारित की गईं किताबों के अलावा अन्य पुस्तकें लाने के लिए मजबूर ना किया जाए। शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम को लागू करने के लिए आयोग, निगरानी प्राधिकरण, ने देखा कि कुछ स्कूल एनसीईआरटी पुस्तकों को ले जाने के लिए बच्चों के साथ भेदभाव कर रहे थे, उन्हें अतिरिक्त पाठ्यक्रम या मूल्य संवर्धन के नाम पर अन्य किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा था।

मामले में आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा ने बताया, ‘बाल अधिकार पैनल को शिकायत मिली की शिक्षा का अधिकार एक्ट के तहत कुछ स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों को NCERT की किताबें रखने पर परेशान किया गया। चूंकि वो बच्चे स्कूल द्वारा निर्धारित किताबों को खरीदने में असमर्थ थे। वर्मा ने बताया कि इन छात्रों को अतिरिक्त पाठ्यक्रम या मूल्य संवर्धन के नाम पर किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया गया। कुछ मामलों में, बच्चों को स्कूलों या विशेष दुकानों से गैर-एनसीईआरटी या गैर-एससीईआरटी की किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया गया था। शिकायतों के मुताबिक इस कारण से बच्चों को अतिरिक्त पैसा देना पड़ा।

मामले में एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियांक कनौंगो ने बताया, ‘अकादमिक प्राधिकरण (NCERT या SCERT) द्वारा प्रकाशित या निर्धारित पुस्तकों को ले जाने के लिए किसी भी स्कूल द्वारा किसी भी बच्चे को परेशान नहीं किया जाएगा। अगर स्कूल ने बच्चों पर किसी तरह का फाइन लगाया या उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई की तो, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत (कार्रवाई) की जा सकती है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार निकाय ने भी स्कूलों को अपनी वेबसाइटों और नोटिस बोर्डों पर आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है कि स्कूलों द्वारा माता-पिता के बीच निर्देशों की एक प्रति परिचालित की जानी चाहिए। गौरतलब है कि आरटीई एक्ट के तहत बच्चों को मुफ्त किताबें और यूनिफॉर्म मिलनी चाहिए।