राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 7वीं के लिए गणित विषय की नई किताब जारी की है। ‘गणित प्रकाश-2’ टाइटल के नाम से इस पाठ्यपुस्तक को रिलीज किया गया है। इस किताब में यह बताया गया है कि बीजगणित (Algebra) और ज्यामिति (Geometry) के विकास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

इस किताब में संस्कृत ग्रंथों और महान भारतीय गणितज्ञों जैसे ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य के कार्यों का उल्लेख किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि उन्होंने बहुत पहले ही बीजगणित और अंकगणित से जुड़े कई सिद्धांतों की खोज की थी। किताब के एक चैप्टर में ब्रह्मगुप्त के 7वीं शताब्दी के ग्रंथ “ब्रह्मस्फुटसिद्धांत” को धनात्मक और ऋणात्मक संख्याओं के नियमों को परिभाषित करने वाला पहला ग्रंथ बताया गया है।

वहीं एक और अन्य चैप्टर में बताया गया है कि कैसे बीजगणित (“बीजगणित”) की उत्पत्ति भारत में हुई और बाद में इसने अरबी और यूरोपीय विद्वानों को भी प्रभावित किया। ज्यामिति से जुड़े विषयों में शुल्ब सूत्रों (Sulba-Sutras) का उल्लेख किया गया है — ये प्राचीन भारतीय ग्रंथ हैं जिनमें ज्यामितीय आकृतियाँ बनाने के नियम बताए गए हैं।

एनसीईआरटी डायरेक्टर प्रोफेसर डी.पी. साकलानी ने कहा कि इस पुस्तक का उद्देश्य छात्रों को “सही इतिहास” सिखाना, विभिन्न विषयों को आपस में जोड़कर पढ़ाना और भारत की वैज्ञानिक परंपरा पर गर्व महसूस कराना है ताकि छात्र भारत की वैज्ञानिक परंपरा पर गर्व महसूस करें।

उदाहरण के लिए एक अध्याय में बताया गया है कि पूर्णांकों (integers) की शुरुआत 7वीं शताब्दी ईस्वी में गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने अपनी किताब “ब्रह्मस्फुटसिद्धांत” में की थी। इस किताब में धनात्मक (positive) और ऋणात्मक (negative) संख्याओं के गुणा और भाग के नियम सबसे पहले बताए थे। किताब इसे “अंकगणित और बीजगणित के विकास में एक बड़ा कदम” बताती है।