राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के आलोक में तैयार आधारभूत स्तर की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ-एफएस) के अनुरूप पहली और दूसरी की किताबें जारी कर दी हैं। एनसीएफ-एफएस तैत्तिरीय उपनिषद में वर्णित ‘पंचकोश विकास’ (मानव व्यक्तित्त्व के पांच कोशों का विकास) की आधारभूत अवधारणा से संबद्ध है।
दोनों ही कक्षाओं में तीन भाषाओं हिंदी, उर्दू व अंग्रेजी और गणित की किताबें जारी की गई हैं। परिषद की ओर से पहली और दूसरी की हिंदी की किताब का नाम ‘सारंगी’ रखा गया है। इसी तरह अंग्रेजी की किताब का नाम ‘मृदंग’ और उर्दू की किताब का नाम ‘शहनाई’ रखा गया है। दोनों कक्षों की गणित की किताब का नाम आनंदमय गणित और अंग्रेजी में ‘जोयफुल मैथेमेटिक्स’ है।
परिषद की मानें तो ये किताबें बाजार में उपलब्ध करा दी गई हैं। हालांकि, कक्षा दो की हिंदी की किताब नई दिल्ली स्थित एनसीईआरटी के प्रकाशन विभाग के बिक्री पटल पर ही उपलब्ध नहीं है। परिषद के अधिकारियों का कहना है कि यह किताब भी जल्द से जल्द उपलब्ध करा दी जाएगी। कक्षा तीन से बारह तक की किताबें अगले शैक्षणिक सत्र तक उपलब्ध होंगी।
परिषद के मुताबिक ये नई किताबें कक्षा में सीखने और परिवार व समुदाय में सार्थक अधिगम संसाधनों के साथ सीखने को महत्त्व देते हुए बच्चों के व्यावहारिक जीवन से जुड़ने का प्रयास करती हैं। ये किताबें आधारभूत स्तर की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर आधारित हैं जो तैत्तिरीय उपनिषद में वर्णित ‘पंचकोश विकास’ (मानव व्यक्तित्त्व के पांच कोशों का विकास) की आधारभूत अवधारणा से संबद्ध है।
एनसीएफ-एफएस सीखने के पांच आयामों, जैसे शारीरिक एवं गत्यात्मक, समाज-संवेगात्मक, भाषा एवं साक्षरता, संस्कृति और सौंदर्यबोध को पंचकोश की भारतीय परंपरा के साथ जोड़ती है। ये पांच कोश इस प्रकार से हैं- अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश।
बच्चों के लिए आकर्षक और आनंददायी
परिषद के मुताबिक किताबें दक्षता आधारित सामग्री को सरल, रोचक और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास हैं। इन किताबों को बच्चों के लिए आकर्षक और आनंददायी बनाने की कोशिश की गई है। इन पुस्तकों में खिलौनों और खेलों के माध्यम से सीखने की अलग-अलग युक्तियों के साथ-साथ अन्य गतिविधियां और प्रश्नों को भी शामिल किया गया है इसके अलावा इन किताबों में ऐसी पर्याप्त विषय सामग्री और गतिविधियां भी हैं जो बच्चों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने में सहायक है।