National Education Day 2019 Quotes, Images, Theme, Speech, Maulana Abul Kalam Azad Ka Jeevan Parichay, Quotes, Speech: भारत के पहले उपराष्ट्रपति मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती मनाने के लिए, देश 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने 11 सितंबर, 2008 को घोषणा की, “मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए भारत के इस महान बेटे के जन्मदिन को मनाने का फैसला किया है।” अबुल कलाम गुलाम मुहिउद्दीन ने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में काम किया।
आजाद ने महिलाओं की शिक्षा, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा और 14 साल की उम्र तक के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा की वकालत की। उनका दृढ़ विश्वास था कि मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए। 1949 में, सेंट्रल असेंबली में, उन्होंने मॉर्डन साइंस एंड नॉलेज में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा का कोई भी कार्यक्रम उचित नहीं हो सकता है अगर यह समाज की आधी आबादी यानी महिलाओं की शिक्षा और उन्नति को पूरा ध्यान नहीं देता है।

Highlights
मौलाना आज़ाद ने 1912 में अपनी साप्ताहिक पत्रिका अल-हिलाल का संपादन करना शुरू किया। अपनी पत्रिका के माध्यम से कलाम ने न केवल अंग्रेजी हुकूमत पर हमले किए, बल्कि सांप्रदायिक सौहर्द और हिंदू-मुस्लिम एकता पर भी बल भी दिया।
देश के पहले शिक्षा मंत्री की अपनी पूरी पढ़ाई घर पर ही हुई। पहले उनको घर पर पढ़ाया गया और बाद में उनके पिता ने पढ़ाया। उन्हें पढ़ाने के लिए उनके पिता ने कई शिक्षक भी रखे। कलाम ने स्वाध्याय के बल पर कई भाषाओं पर अपनी पकड़ बना ली थी।
मौलाना आज़ाद के जन्मदिन पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने साल 2015 में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान के लिए उनके जन्मदिन पर 'नेशनल एजुकेशन डे' (National Education Day 2019) मनाने का फैसला किया था। यह हर वर्ष 11 नवंबर को मनाया जाता है।
मौलाना आज़ाद का असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए थे। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष नेताओं में से एक थे।
अबुल कलाम आज़ाद के पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। वह एक विद्वान थे, जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं। अबुल कलाम पर भी उनकी विद्वता का असर आजीवन रहा।
मात्र 13 साल की उम्र में मौलाना आज़ाद की शादी खदीजा बेगम से हो गई थी। उनका नाम स्वाधीनता संग्राम के अहम सेनानियों में गिना जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने कहा था - हमें एक पल के लिए भी यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा हरेक व्यक्ति का यह जन्मसिद्ध अधिकार है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यक्ति को बुनियादी शिक्षा मिले, बिना इसके वह पूर्ण रूप से एक नागरिक के अधिकार का निर्वहन नहीं कर सकता।
संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद सहित अधिकांश सांस्कृतिक संस्थानों की स्थापना का श्रेय आजाद को ही जाता है।
इस बात का एहसास होना बेहद जरूरी है कि आत्मविश्वास के साथ ही आत्म सम्मान आता है। - मौलाना अबुल कलाम आजाद
गुलामी अत्यंत बुरा होता है भले ही इसका नाम कितना भी खुबसूरत क्यों न हो। मौलाना अबुल कलाम आजाद
अगर आप अपने मिशन में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित होना जरूरी है। - मौलाना अबुल कलाम आजाद
हमें एक पल के लिए भी यह नहीं भूलना चाहिए कि हरेक व्यक्ति का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि उसे बुनियादी शिक्षा मिले, बिना इसके वह पूर्ण रूप से एक नागरिक के अधिकार का निर्वहन नहीं कर सकता।
उन्होंने शैक्षणिक लाभों के लिए अंग्रेजी की भी वकालत की हालांकि उनका मानना था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए।
1949 में केंद्रीय असेंबली में उन्होंने आधुनिक विज्ञान के महत्व पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा का कोई भी कार्यक्रम तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक समाज की आधी से ज्यादा आबादी यानी महिलाओं तक नहीं पहुंचता।
बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को ही उसका फल मिलता है। -मौलाना अबुल कलाम आजाद
दिल से दी गयी शिक्षा समाज में क्रांति ला सकता है। -मौलाना अबुल कलाम आजाद
1992 में उन्हें भारत रत्न से भी नवाजा गया था। भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC की स्थापना की थी।
भारत में शिक्षा हेतु कई अभियान चलाये जा रहे हैं जिसमें सर्व शिक्षा अभियान शामिल है। सरकार अब प्राथमिक या माध्यमिक स्कलों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रही है।
वह हिन्दू-मुस्लिम एकता के सबसे बड़े पैरोकार थे। मौलाना आजाद ने उर्दू, फारसी, हिन्दी, अरबी और अंग्रेजी़ भाषाओं में महारथ हासिल की। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1912 में उर्दू में सप्ताकि पत्रिका अल-हिलाल निकालनी शुरू की जिससे युवाओं को क्रांति के लिए जोड़ा जा सके।
मौलाना अबुल कलाम का जन्म 11 नवम्बर 1888 में हुआ था। मौलाना अबुल कलाम आजाद महात्मा गांधी से प्रभावित होकर भारत के स्वतंत्रा संग्राम में बढ़चर कर हिस्सा लिया और भारत के बंटवारे का घोर विरोध किया।
पहला IIT, IISc, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उनके कार्यकाल में स्थापित किया गया था।
संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद सहित अधिकांश सांस्कृतिक संस्थानों की स्थापना का श्रेय आजाद को ही जाता है।
उन्होंने ब्रिटिश राज की आलोचना करने के लिए उर्दू में अल-हिलाल नामक एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की। उन्हें एक शिक्षाविद और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके योगदान के लिए 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।