सभी तरह के स्कूलों में मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता की नियमित व्यवस्था की जाती है। यह व्यवस्था विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। मनोविज्ञान अपनी पूर्णता में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां करिअर से जुड़े अनेक विकल्प हैं। स्कूल मनोवैज्ञानिक इसकी महत्त्वपूर्ण शाखाओं में एक है। स्कूलों में बढ़ते अपराधों को देखते हुए अब स्कूल मनोविज्ञानियों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं कई कोर्ट भी स्कूलों में मनोविज्ञानियों की नियुक्ति का निर्देश दे चुके हैं।
कौन होते हैं स्कूल मनोवैज्ञानिक: स्कूल मनोवैज्ञानिक किसी भी स्कूल की टीम के मुख्य सदस्य होते हैं, जो शैक्षिक मनोविज्ञान, बाल मनोविज्ञान और सामुदायिक मनोविज्ञान के सिद्धांतों का पालन कर छात्रों में सीखने की क्षमता और शिक्षकों में सिखाने की क्षमता का विकास करते हैं। स्कूल मनोवैज्ञानिक बच्चों के भावनात्मक, व्यावहारिक और शैक्षिक आवश्यकताओं का अध्ययन कर उनकी समस्याओं का हल करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोई बच्चा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा है या कोई बच्चा अधिक सक्रिय है, तो ऐसे मामलों में मनोवैज्ञानिक की सहायता लेनी पड़ती है। यदि आपकी रुचि बच्चों के मनोभाव को जानने और उनके तनाव को दूर करने की दिशा में है तो आप स्कूल मनोवैज्ञानिक का करिअर चुन सकते हैं। आजकल बच्चे सबसे ज्यादा तनाव का शिकार होते हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में करिअर की भरपूर संभावनाएं हैं। ऐसे में आप मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता के रूप में बच्चों के भविष्य को खराब होने से बचा सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता: किसी भी विषय में बारहवीं पास करने के बाद मनोवैज्ञानिक विषय में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। आम तौर पर इसमें बैचलर आॅफ आर्ट्स यानी बीए की डिग्री दी जाती है लेकिन अगर आपने विज्ञान से बारहवीं की है तो मनोवैज्ञानिक में बीएससी आॅनर्स भी कर सकते हैं। फिर स्नातकोत्तर करने के बाद पीएचडी या एमफिल किया जा सकता है।
इन स्थानों पर मिलता है काम: निजी, सार्वजनिक विद्यालय, कॉलेज, विश्वविद्यालय, मानसिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल और बाल न्याय केंद्र।
कितना मिलता है वेतन: हर क्षेत्र की तरह यहां भी अनुभव और पढ़ाई के आधार पर स्कूल मनोवैज्ञानिक का वेतन तय होता है। एमफिल या पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले उम्मीदवारों को अच्छा वेतन मिलता है। शुरुआती तौर पर दो लाख रुपए सालाना से शुरू होकर कुछ ही सालों में यह वेतन छह लाख रुपए सालाना से ज्यादा तक पहुंच जाता है।
यहां से करें पढ़ाई
– लेडी श्रीराम कॉलेज फोर वुमेंस, दिल्ली<br />– जीसस एंड मैरी कॉलेज, दिल्ली
– प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई
– कमला नेहरू कॉलेज, दिल्ली
– मीठीबाई कॉलेज आॅफ आर्ट्स, मुंबई
– कोलकाता विश्वविद्यालय, कोलकाता<br />– बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
– गार्गी कॉलेज, दिल्ली
– जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
– विल्सन कॉलेज, मुंबई
– एमिटी यूनिवर्सिटी, जयपुर<br />– लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
इन कौशल की जरूरत
– बेहतर बातचीत करने का कौशल
– धैर्य, सहजता और आत्मविश्वास
– सभी उम्र के लोगों के साथ काम करने की कला
– लोगों की मदद करने का जुनून
– काम के प्रति लगाव
– संवेदनशीलता और सहानुभूति
मनोवैज्ञानिक के कार्य
– स्कूल मनोवैज्ञानिक कुछ खास बच्चों की समस्याओं एवं आवश्यकताओं की जानकारी शिक्षक को देता है, जिससे शिक्षक उन बच्चों को अपनी कक्षा में पहचान सकें और उनकी आवश्यकतानुसार मदद कर सकें। उनके लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन कर सकें और फिर उन्हें परामर्श दे सकें।
– स्कूल मनोवैज्ञानिक बच्चों के विकास की विशेषताओं को समझने में शिक्षक की सहायता करता है।
– बच्चों की प्रकृति को जानने की कोशिश करता है। शिक्षा की प्रकृति एवं उद्देश्यों को समझने में सहायता प्रदान करता है।
– बच्चों की वृद्धि और विकास के बारे में शिक्षकों को ज्ञान देता है। बच्चों के अच्छे समायोजन में मदद करता है।
– मानसिक रूप से स्वस्थ बच्चों के लक्षणों को पहचानना और ऐसा प्रयास करना कि उनकी इस स्वस्थता को बनाए रखा जा सके, यह कार्य भी स्कूल मनोवैज्ञानिक का ही होता है।

