जैन समाज के 24वें और अंतिम तीर्थंकार भगवान महावीर जी की आज जयंती है। देशभर में उनकी जयंती पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था। इसी लिए ये दिन मनाया जाता है। भगवान महावीर का जीवन वैसे तो हर एक व्यक्ति के लिए आदर्श जीवन है, लेकिन आज के दिन एक विद्यार्थी महावीर जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारकर एक आदर्श विद्यार्थी बन सकते हैं। ऐसे में हम आपको उनके जीवन के कुछ सिद्धांतों के बारे में बता रहे हैं और एक विद्यार्थी जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं।
भगवान महावीर के इन सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारकर आप एक आदर्श विद्यार्थी बन सकते हैं।
- अहिंसा: भगवान महावीर ने अहिंसा के सिद्धांत पर जोर दिया। छात्रों को भी अपने विचारों और कार्यों में अहिंसा का पालन करना चाहिए।
- सत्य और ईमानदारी: भगवान महावीर ने सत्य और ईमानदारी के महत्व पर जोर दिया। छात्रों को भी अपने जीवन में सत्य और ईमानदारी का पालन करना चाहिए।
- अस्तेय: भगवान महावीर ने अस्तेय के सिद्धांत पर जोर दिया, जिसका अर्थ है दूसरों की चीजों का सम्मान करना। छात्रों को भी दूसरों की चीजों का सम्मान करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य: भगवान महावीर ने ब्रह्मचर्य के महत्व पर जोर दिया, जिसका अर्थ है अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना। छात्रों को भी अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- अपरिग्रह: भगवान महावीर ने अपरिग्रह के सिद्धांत पर जोर दिया, जिसका अर्थ है अपने पास आवश्यक चीजों को ही रखना। छात्रों को भी अपने पास आवश्यक चीजों को ही रखना चाहिए।
- ध्यान और एकाग्रता: भगवान महावीर ने ध्यान और एकाग्रता के महत्व पर जोर दिया। छात्रों को भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ध्यान और एकाग्रता का अभ्यास करना चाहिए।
- आत्म-नियंत्रण: भगवान महावीर ने आत्म-नियंत्रण के महत्व पर जोर दिया। छात्रों को भी अपने विचारों और कार्यों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
क्यों मनाई जाती है महावीर जयंती?
महावीर जयंती भगवान महावीर को श्रद्धांजलि देने और उनकी शिक्षाओं को याद करने के लिए मनाई जाती है। भगवान महावीर को जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। वह शांति, अहिंसा और सत्य के प्रतीक माने जाते हैं। उनके जीवन और उपदेशों ने समाज में सच्चे धर्म और सद्गुणों को फैलाया है। भगवान महावीर ने अपने जीवन में एक साधु जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया है।