देश भर में केंद्रीय विद्यालयों (केवी) का संचालन करने वाले केंद्रीय विद्यालय संगठन के शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष 50 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से कराया जाएगा। ‘126वीं बोर्ड आफ गवर्नर’ (बीओजी) की 22 अक्तूबर को हुई बैठक में ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण काे लागू करने का फैसला किया गया। अभी तक हर शिक्षक को छह वर्ष में 21 दिनों का ‘इन सर्विस कोर्स’ करना होता था
केंद्रीय विद्यालय संगठन के संयुक्त सचिव चंदन मंडल के मुताबिक, शिक्षकों को वरिष्ठ वेतनमान में वित्तीय उन्नयन के लिए 50 घंटे का ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण या 21 दिनों का ‘इन सर्विस कोर्स’ करना अनिवार्य होगा। जो भी शिक्षक इन दोनों शर्तों में से किसी एक शर्त को पूरा नहीं करेंगे, उनकी वरिष्ठता रोक दी जाएगी और यह तब तक रुकी रहेगी, जब तक कि शर्त पूरी नहीं हो जाती है।
मंडल के मुताबिक, जो शिक्षक किसी वर्ष में किसी भी कारण से 50 घंटे का ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें अगले वर्ष में इसे पूरा करना होगा। यानी अगर कोई शिक्षक 2025 में 50 घंटे का ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण नहीं कर पाता है तो उसे 2026 में 100 घंटे का ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण करना होगा।
विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए
इस संबंध में केंद्रीय विद्यालय संगठन मुख्यालय की ओर से विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जिनके अनुसार ही प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। इतना ही नहीं, प्रधानाचार्यों और संगठन के स्थानीय कार्यालयों को हर शिक्षक की सेवा पुस्तिका में यह दर्ज करना होगा कि उसने 50 घंटे का ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण प्राप्त किया है या नहीं।
संगठन के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि 21 दिनों के ‘इन सर्विस कोर्स’ को बदलकर 50 घंटे का ‘निरंतर पेशेवर विकास’ प्रशिक्षण करने के पीछे दो महत्त्वपूर्ण कारण हैं। पहला तो यह कि 21 दिनों के लिए प्रशिक्षण पर जाना शिक्षकों के अनुकूल नहीं हो पा रहा था। प्रशिक्षण के लिए शिक्षकों को अकसर अपना केंद्र छोड़ना पड़ता था, जिससे उनकी समय सारणी पर प्रतिकूल असर पड़ता था।
दूसरा कारण यह है कि शिक्षा जगत में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। ऐसे में हर शिक्षक को प्रत्येक वर्ष प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। छह साल का समय बहुत अधिक हो जाता था। इन्हीं वजहों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
स्थानीय भाषाओं के शिक्षकों की होगी नियुक्ति
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्थानीय और मातृ भाषा में पढ़ाई करने के फैसले के तहत केंद्रीय विद्यालय संगठन ने तय किया है कि जहां पर भी विद्यार्थियों को हिंदी या अंग्रेजी में पढ़ाई को समझने में परेशानी आएगी, वहां पर स्थानीय या मातृ भाषा के शिक्षकों को रखा जाएगा। ‘126वीं बोर्ड आफ गवर्नर’ की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे विद्यालयों में कक्षाओं के वर्ग के अनुसार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी, जो संविदा के आधार पर होगी। इन शिक्षकों को विद्यालय विकास निधि से वेतन दिया जाएगा।
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