जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बार फिर एक नया विवाद सिर उठा रहा है। यूनिवर्सिटी के छात्रों का दावा है कि राजनीतिक पोस्टर, छात्र संस्कृति में भिन्नता का अस्तित्व हैं जबकि प्रशासन ने परिसर की दीवारों पर पोस्टर को कथित तौर पर उतार दिया है। छात्रों द्वारा विरोध में मंगलवार को पोस्टर बनाने के कार्यक्रम का आयोजन करने की घोषणा के बाद, जेएनयू के स्वच्छता प्रकोष्ठ (sanitation cell) ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि पोस्टर लगाना दिल्ली प्रॉपर्टी एक्ट 2017 का उल्लंघन होगा।

स्वच्छ जेएनयू के निदेशक, पीके जोशी द्वारा जारी किए गए परिपत्र में, जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) द्वारा आयोजित किए जा रहे पोस्टर मार्च पर आपत्ति जताई गई है। परिपत्र में छात्रों को “Defacement of Property Act, 2007” तथा जेएनयू कार्यकारी परिषद द्वारा 13 मार्च को लिए गए फैसले के अनुसार ही कदम उठाने की सलाह दी गई है।

ताजा परिपत्र ने सभी से केवल पोस्टर और बिल चिपकाने के लिए नामित होर्डिंग का उपयोग करने के लिए कहा है। निर्देश है कि उल्लंघनकर्ता कार्रवाई और दंड के लिए उत्तरदायी होंगे। JNUSU अध्यक्ष एन साई बालाजी ने इन निर्देशों को “दमनकारी” कहा। उन्‍होनें कहा, “दशकों से, यूनिवर्सिटी की दीवारें सीखने और संचार के लिए स्थान रही हैं। वे वैचारिक बहस के लिए मंच हैं और हमारी संवैधानिक और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की एक अनोखी लेकिन शक्तिशाली अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।”

JNUSU ने कहा कि शुक्रवार को प्रशासन ने सौंदर्यीकरण का हवाला देते हुए परिसर की दीवारों से सभी पोस्टर हटा दिए। छात्र संघ के एक सदस्य ने कहा, “प्रशासन विश्वविद्यालय में सोच और असंतोष को नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन हम इसे पुनः प्राप्त करने के लिए दृढ़ हैं।” छात्रसंघ ने घोषणा की कि वह सोमवार को परिसर में एक सामूहिक पोस्टर-मेकिंग कार्यक्रम का आयोजन करेगा और पोस्टर चिपकाने के लिए मंगलवार को एक मार्च आयोजित करेगा।