JNU Elections 2019: 6 सितंबर को होने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा बुधवार को कर दी गई है। 6 उम्मीदवार JNU प्रेसिडेंट पद के लिए एक दूसरे को टक्कर देंगे जिसमें BAPSA, CRJD, SFI, ABVP तथा NSUI की ओर से उम्मीदवार शामिल हैं। चुनावों में एक स्वतंत्र उम्मीदवार भी अपनी दावेदारी पेश करेगा। इस बार के चुनावों में प्रशांत कुमार (NSUI), जितेंद्र सूना (BAPSA), प्रियंका भारती (CRJD), आइशी घोष (SFI), राघवेन्द्र मिश्रा (स्वतंत्र) और मनीष जांगड़ (ABVP) एक दूसरे को टक्कर देंगे।
इस बार स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के खिलाफ एकजुट लेफ्ट पैनल बनाने के लिए हाथ मिलाया है। प्रेसिडेंट पद की दौड़ में शामिल अन्य छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI), बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) और राष्ट्रीय जनता दल के छात्रसंघ हैं।
सरकार के कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त राज्य से केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला JNU प्रेसिडेंट इलेक्शन का भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा। बुधवार को JNU परिसर में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में विभिन्न संगठनों के लगभग सभी प्रसिडेंट पद के उम्मीदवारों ने इस मुद्दे पर बात की।
ABVP के उम्मीदवार मनीष जांगड़ ने अपने भाषण का एक बड़ा हिस्सा इसी मुद्दे को समर्पित किया। उन्होनें कहा, “जबकि पूरा देश अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने का जश्न मना रहा था, उस समस परिसर में वामपंथी इस कदम का शोक मना रहे थे। कश्मीर में अब आरक्षण लागू हो सकता है, महिलाओं को भी समान अधिकार मिलेंगे, लेकिन वामपंथी चुप हैं। यहां तक कि अंबेडकर धारा 370 के खिलाफ थे। आज वाल्मीकि समुदाय को भी वहां समान अधिकार प्राप्त हैं, तो BAPSA (बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन) चुप क्यों है?”
लेफ्ट यूनाइटेड पैनल की ओर से SFI की आयशी घोष उम्मीदवार हैं। वह एकमात्र उम्मीदवार थीं जिन्होंने अपने आठ मिनट के भाषण में कश्मीर का उल्लेख नहीं किया। The Indian Express से बातचीत में उन्होनें कहा, “हमारा स्टैंड यह है कि हम लोकतंत्र और संविधान पर हमले के खिलाफ हैं, और जहां भी ऐसा होता है, हम इसके खिलाफ बोलेंगे। कश्मीर में जो हुआ है उसमें लोकतंत्र मारा गया है।”
BAPSA के उम्मीदवार जितेंद्र सूना और NSUI के उम्मीदवार प्रशांत कुमार, दोनों ने धारा 370 को निरस्त करने के विरोध में अपने पक्ष रखे। जितेन्द्र ने इस कदम को “fascist move” कहा, जबकि प्रशांत ने कहा कि भाजपा कश्मीर की जमीन को चाहती है, लेकिन कश्मीरियों को नहीं चाहती। इलेक्शन 06 सितम्बर को होने हैं जिसके लिए JNU में तैयारियां तेज हैं।

