संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE-Main) का पेपर गुजराती भाषा में भी देने के विवाद पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने शुक्रवार को अपनी सफाई दी। एजेंसी ने कहा कि 2013 में सभी राज्यों को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन गुजरात को छोड़कर किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई। इस बीच पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा विभाग ने एजेंसी को पत्र लिखकर 2020 की परीक्षा में बंगाली भाषा में पेपर देने की मांग की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाली भाषा समेत सभी भारतीय भाषाओं में परीक्षा कराने की मांग की।
ममता बनर्जी की सभी भाषाओं में परीक्षा कराने की मांग : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) में गुजराती भाषा को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया और मांग की कि बंगाली सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी पेपर आयोजित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, “मुझे गुजराती भाषा से कोई समस्या नहीं है। मैं सभी भाषाओं से प्यार करती हूं और गुजराती को भी समझती हूं। सभी क्षेत्रीय भाषाओं को जेईई में जोड़ा जाना चाहिए। राज्य के शिक्षा मंत्री ने National Testing Agency (NTA) को भी लिखा था।”
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NTA ने 2013 में शुरू किया था : JEE (Main) की शुरुआत National Testing Agency (NTA) ने 2013 में किया था। इसका उद्देश्य था कि सभी राज्य अपने यहां इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्रों को इस परीक्षा के माध्यम से प्रवेश दें। उस समय केवल गुजरात ने ही अपने यहां गुजराती भाषा में पेपर देने पर सहमति जताई थी। 2014 में महाराष्ट्र ने भी अपने यहां मराठी और उर्दू भाषा में पेपर देने का अनुरोध किया था।
2020 की परीक्षा को लेकर हुआ विवाद : ताजा विवाद तब शुरू हुआ, जब यह बताया गया इस बार JEE परीक्षा अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती भाषाओं में आयोजित की जाएगी। हालांकि NTA ने स्पष्ट किया कि गुजरात के अलावा किसी अन्य राज्य ने इसे क्षेत्रीय भाषा में कराने के लिए अनुरोध नहीं किया था। मामले में ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि सरकार क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) 11 नवंबर को क्षेत्रीय भाषा और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करेगी।