अर्थशास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसके बिना सरकारी या निजी किसी भी क्षेत्र में किसी भी योजना परियोजना का प्रारूप तैयार करना और उसे अमलीजामा पहनाना संभव नहीं है। बात चाहे नीति आयोग के द्वारा नीति निर्धारण की हो या फिर विश्व बैंक से संबंधित योजनाओं की, अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों के बिना किसी भी स्तर पर एक कदम भी आगे बढ़ा पाना संभव नहीं है। इतना ही नहीं, किसी देश की मजबूती का आकलन उसकी अर्थव्यवस्था से आसानी से किया जाता है। अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होगी, जब उस देश की आर्थिक नीतियां बेहतर ढंग से संचालित हो रही हों। यही वजह है कि भारत में अर्थशास्त्र एक आकर्षक करिअर क्षेत्र के रूप में युवाओं को लुभा रहा है। अर्थशास्त्र की पढ़ाई करिअर के एक से बढ़ कर एक अवसर उपलब्ध कराती है।

योग्यता
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में जो भी पाठ्यक्रम हैं, उनमें स्नातक के बाद ही दाखिला मिलता है। हालांकि, विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर भी अर्थशास्त्र को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। अर्थशास्त्र में स्नातक के बाद ही स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलता है। इसके बाद वह एमफिल/पीएचडी कर सकता है। कुछ डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रम भी कुछ विश्वविद्यालय चलाते हैं जिनमें स्नातक के बाद ही दाखिला मिलता है।

पाठ्यक्रम
’ बीए (अर्थशास्त्र/बिजनस अर्थशास्त्र/ विकास अर्थशास्त्र)
’ बीए/बीएससी (ऑनर्स) अर्थशास्त्र
’एमए इन अर्थशास्त्र/व्यावहारिक अर्थशास्त्र/बिजनस अर्थशास्त्र/भारतीय अर्थशास्त्र
’एमएससी इन व्यावहारिक अर्थशास्त्र/गणितीय अर्थशास्त्र
’एमफिल/पीएचडी इन अर्थशास्त्र/बिजनस अर्थशास्त्र/व्यावहारिक अर्थशास्त्र
’ एमबीई (मास्टर ऑफ बिजनस इकोनॉमिक्स)
’ एमएफसी (मास्टर ऑफ फाइनेंस एंड कंट्रोल)
’ एमबीए बिजनस अर्थशास्त्र
’पीजी डिप्लोमा इन अर्थशास्त्र/व्यावहारिक अर्थशास्त्र/वैश्विक व्यापार

यहां मिलेगा अवसर
अर्थशास्त्र में स्नातक करने पर विद्यार्थी अर्थशास्त्र-वित्तीय शोध, बैंकिंग एवं वित्त, सेल्स, मार्केटिंग आदि क्षेत्रों का रुख कर सकते हैं। इसके अलावा वे चाहें तो कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे सिविल सर्विस, अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी सेवा आदि में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। इस समय सबसे ज्यादा मांग अर्थशास्त्र विश्लेषकों, शोधकर्ता और परामर्शदाताओं की है लेकिन इस स्तर पर चुनौतियां भी खूब हैं। स्तानक अर्थशास्त्र बैंकिंग, वित्त, बीमा, स्टॉक मार्केट, सेल्स एंड मार्केटिंग सहित कई सरकारी विभागों, निवेश फर्म एवं परामर्शदाता फर्म में शुरुआती स्तर पर आसानी से नौकरी मिल जाती है।

वेतनमान
सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों जगह पर अर्थशास्त्रियों की मांग बहुत है। इसके कारण इस क्षेत्र में वेतन भी आकर्षक मिलता है। आमतौर पर सरकारी सेवा में कार्यरत अर्थशास्त्री को हर महीने 20-25 हजार रुपए मिलते हैं। एक दो साल के अनुभव के बाद यही वेतन 30-35 हजार रुपए प्रतिमाह तक पहुंच जाता है, जबकि निजी कंपनियों में वेतन की रूपरेखा काफी कुछ संस्थान एवं कार्य के स्वरूप पर निर्भर करती है। इसके अलावा किसी कॉलेज/विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र शिक्षक को 40-45 हजार रुपए हर महीने वेतन मिलता है। आज कई ऐसे अर्थशास्त्री हैं, जिनका सालाना वेतन लाखों में है।
जो लोग फ्रीलांसिंग कर रहे हैं या जिन्होंने अपनी खुद की फर्म स्थापित की है, उनके लिए आमदनी की कोई सीमा नहीं है।

प्रमुख संस्थान

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, नई दिल्ली<br />’ श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली
’ सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली
’ जेएनयू, नई दिल्ली
’ बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी
’ हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़
’ प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता<br />’ बॉम्बे विश्वविद्यालय, मुंबई
’ भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता
’ सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, पुणे

कार्यक्षेत्र
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भले ही नौकरियों की कोई कमी नहीं है लेकिन उम्मीदवार के अंदर अगर क्षमता नहीं होगी तो उसे सफलता नहीं मिल पाएगी। इसलिए सबसे पहले उन्हें अपने अंदर उन क्षमताओं को विकसित करना होगा, जो इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक हैं।