संस्कृत सबसे पुरानी भाषा है, जिसकी जड़ें भारतीय परंपराओं से जुड़ी हैं लेकिन वर्तमान समय में यह सबसे कम बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। भारत की अनुसूचित भाषाओं में से एक संस्कृत को उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है। हालांकि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडीशा के कई इलाकों में बातचीत के दौरान संस्कृत के शब्दों का इस्तेमाल होता है ताकि इसका पुनर्रुद्धार हो सके। विभिन्न भारतीय ग्रंथों में अपनी समझ बढ़ाने और भारतीय संस्कृति को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने के लिए इसका अध्ययन करना जरूरी है। इस विषय की खास जानकारी रखने वालों की मांग काफी बढ़ गई है।
यह सर्वमान्य तथ्य है कि भारतीय और दुनिया की कई भाषाओं में संस्कृत के शब्द प्रचलित हैं। दुनिया की सबसे सम्मानित भाषा संस्कृत के पाठ्यक्रम भारतीय के अलावा कई अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों में भी उपलब्ध हैं। एक विलुप्त भाषा होने के बावजूद विद्यार्थी संस्कृत में स्नातक के बाद अपने बेहतर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। इसमें विदेश में भी नौकरी के अवसर मौजूद हैं।
अनुवादक: पश्चिमी बुद्धिजीवी प्राचीन भारतीय ग्रंथों और वेदों को काफी गंभीरता से ले रहे हैं। इसी वजह से संस्कृत विद्वानों की मांग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रही है। संस्कृत में स्नातक करने के बाद विद्यार्थी पुरातत्वविदों और इतिहासकारों के यहां अनुवादक के रूप में कार्य कर सकते हैं। एक अनुवादक के तौर पर काम करने के लिए विद्यार्थियों को संस्कृत के अलावा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना भी जरूरी है। दोनों भाषाओं में उसका संवाद कौशल उत्कृष्ट होना जरूरी है। इस नौकरी में उम्मीदवार अच्छा वेतन पा सकते हैं। इस पेशे में काम करते हुए आपको कई रचनात्मक प्रतिभा रखने वाले लोगों से मिलने का मौका मिलता है। इसमें आपको ग्रंथों से जुड़े कई अनोखे तथ्य जानने का मौका भी मिलता है।
मीडिया और जनसंचार: संस्कृत में स्नातक करने के बाद विद्यार्थी मीडिया और जनसंचार के क्षेत्र में भी अपना करिअर संवार सकते हैं। हिंदी या क्षेत्रीय भाषा के समाचार पाठकों और लेखकों की मांग तेजी से बढ़ रही है और यह करिअर के लिए एक अच्छा विकल्प बनती जा रही है। कुछ समाचार पत्र तो संस्कृत में ही प्रकाशित किए जाते हैं। इसके अलावा दूरदर्शन पर संस्कृत से संबंधित समाचार के अलावा कुछ कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं। संस्कृत की जानकारी होने पर दूरदर्शन से भी पत्रकार के रूप में जुड़ा जा सकता है।
शिक्षण: कई निजी और सरकारी शैक्षणिक संस्थान संस्कृत के पाठ्यक्रमों के लिए अपने यहां शिक्षकों की भर्ती करते हैं। शिक्षक के रूप में योग्य होने के लिए उम्मीदवार को इससे जुड़ी परीक्षा (जैसे बीएड या नेट) में उत्तीर्ण होना जरूरी है। इसके अलावा संचार कौशल बेहतर होना चाहिए ताकि पढ़ाते वक्त विद्यार्थियों के साथ सही ढंग से वार्तालाप हो सके। शिक्षण में वेतन संस्थान पर आधारित होता है, सरकारी संस्थान अच्छा वेतन देते हैं। इसके अलावा इस संस्कृत में अच्छी पटकथा लिखने वालों की सिनेमा उद्योग में काफी जरूरत होती है।
सुशील राघव