भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास ने देश के प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों (IoE) में अपना चयन न होने पर ”गहरी निराशा” जताई है। IIT मद्रास ने यूजीसी के चयन पैनल की सिफारिश के बावजूद खुद को छह संस्थानों में शामिल न किए जाने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखा है। मिली जानकारी के अनुसार, 9 जुलाई को प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों की सूची सामने आने के करीब एक महीने बाद, उद्योगपति व IIT मद्रास के चेयरमैन पवन गोयनका ने निदेशक बोर्ड की ‘नाखुशी’ से जावडेकर को अवगत करा दिया था।
UGC द्वारा शक्ति-प्रदत्त विशेषज्ञों की एक समिति को 114 आवेदकों में से 20 IoEs ढूंढने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समिति ने 11 संस्थानों को प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों का दर्जा देने की सिफारिश की। इनमें से भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), IIT मद्रास, IIT खड़गपुर, IIT बॉम्बे, IIT दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय के नाम सार्वजनिक श्रेणी के तहत सुझाए गए थे। निजी श्रेणी में BITS पिलानी, मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (MAHE) और रिलायंस फाउंडेशन के प्रस्तावित जियो इंस्टीट्यूट का नाम दिया गया था।
9 जुलाई को यूजीसी ने सरकार को केवल छह नाम भेजे- तीन सार्वजनिक श्रेत्र के और तीन निजी क्षेत्र के। यूजीसी के मीटिंग-मिनट्स के मुताबिक, IISc, IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली का चयन QS World University Rankings 2018 में उनके प्रदर्शन को देखते हुए किया गया था। IIT मद्रास को नजरअंदाज किए जाने के फैसले की इशारों में आलोचना करते हुए गोयनका ने जावडेकर को लिखा है कि एक व्यापारिक एजंसी की रैकिंग के आधार पर सिर्फ तीन सरकारी संस्थानों के चयन पर निदेशक बोर्ड हैरान था।
मिली जानकारी के अनुसार, गोयनका ने पत्र में कहा है कि न तो समिति की सिफारिशों, न ही सरकार के अपने ‘नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) के आधार पर चयन किया गया। NIRF ने लगातार तीन साल तक IIT मद्रास को देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट का दर्जा दिया है। गोयनका ने इसका हवाला देते हुए यूजीसी के फैसले को ‘दुर्भाग्यूपर्ण’ बताया है। गोयनका ने लिखा है कि निदेशक बोर्ड को लगता है कि इससे शिक्षकों व छात्रों का हौसला कम होगा।
प्रस्तावित जियो इंस्टीट्यूट के चयन को लेकर राजनैतिक तूफान खड़ा हो गया था। विपक्ष ने एनडीए सरकार पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया था। केंद्रीय कैबिनेट ने यूजीसी की सिफारिशों को पिछले साल अगस्त में मंजूरी दी थी। इन संस्थानों के पास भरपूर स्वायत्तता होगी। वह फीस, कोर्स का समय व ढांचा तय कर सकेंगे। विदेशी संस्थानों संग साझेदारी के लिए किसी से इजाजत नहीं लेनी होगी।