Independence Day Speech In Hindi 2024 (स्वतंत्रता दिवस पर भाषण हिंदी में 2024): भारत 2024 में अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है, जिसकी तैयारियों आम आदमी से लेकर सरकार तक सब जुटे हुए हैं क्योंकि 15 अगस्त हिन्दुस्तान की आजादी का दिन है। इसी दिन ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी की जंजीरों से जकड़े भारत ने पहली बार आजाद आसमां के नीचे स्वतंत्रता की सांसें लेनी शुरू की थी। 15 अगस्त का यानी आजादी को घर से लेकर स्कूल, कॉलेज, निजी सरकारी कार्यालय, शिक्षण संस्थान, अस्पताल हर जगह झंडा फहराकर मनाया जाता है।
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अगर आप भी इस 15 अगस्त को मनाने के लिए तैयारी शुरू कर चुके हैं लेकिन अभी तक आपको कुछ अलग और खास करने को नहीं मिला , तो जनसत्ता के इस स्पेशल लाइव ब्लॉग में आपको देशभक्ति शायरी, कविताएं, दोहे, भाषण के लिए इतने टॉपिक मिलेंगे जिनके जरिए आप कहीं भी 15 अगस्त के कार्यक्रम में अपना रंग जमा सकते हैं और वहां मौजूद लोगों की वाहवाही लूट सकते हैं।
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छोटे क्लास में पढ़ने वाले छात्र अगर भाषण नहीं देना चाहते हैं तो वे वीर रस की कविता भी पढ़ सकते हैं।
भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और इस मौके पर पर आज आजादी की कीमत शीर्षक के साथ अपना एक छोटा सा भाषण तैयार कर सकते हैं, जिसमें भारत को स्वतंत्र कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों का हवाला देकर, सभा में उपस्थित लोगों को आजादी के लिए चुकाई गई कीमत से रूबरू करवा सकते हैं।
सियारामशरण गुप्त की कविता जय जय भारतवर्ष हमारे के जरिए छात्र अपने देश की विविधताओं के बारे में लोगों को कविता के माध्यम से जागरुक कर सकते हैं।
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय जय हिंद, हमारे हिंद,
विश्व-सरोवर के सौरभमय
प्रिय अरविंद, हमारे हिंद!
तेरे स्रोतों में अक्षय जल
खेतों में है अक्षय धान,
तन से मन से श्रम-विक्रय से,
है समर्थ तेरी संतान।
सबके लिए अभय है जग में
जन-जन में तेरा उत्थान,
वैर किसी के लिए नहीं है,
प्रीति सभी के लिए समान।
गंगा-यमुना के प्रवाह हे
अमल अनिंद्य , हमारे हिंद,
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय-जय हिंद, हमारे हिंद!
तेरी चक्रपताका नभ में
ऊँची उड़े सदा स्वाधीन,
परंपरा अपने वीरों की
शक्ति हमें दे नित्य नवीन।
सबका सुहित हमारा हित है,
सार्वभौम हम सार्वजनीन;
अपनी इस आसिंधु धरा में
नहीं रहेंगे होकर हीन।
ऊँचे और विनम्र सदा के
हिमगिरि विंध्य, हमारे हिंद,
जय-जय भारतवर्ष हमारे,
जय-जय हिंद, हमारे हिंद!
शंकर शैलेंद्र के कविता संग्रह अंदर की आग में संकलित कविता 15 अगस्त स्कूल,कॉलेज या किसी संस्थान में मंच से पढ़ने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है,जो 15 अगस्त के मायने समझाती है।
जय-जय भारतवर्ष प्रणाम!
युग-युग के आदर्श प्रणाम!
शत्-शत् बंधन टूटे आज
बैरी के प्रभु रूठे आज
अंधकार है भाग रहा
जाग रहा है तरुण विहान!
जय जाग्रत् भारत संतान
जय उन्नत जनता सज्ञान
जय मज़दूर, जयति किसान!
वीर शहीदों तुम्हें प्रणाम!
धूल भरी इन राहों पर
पीड़ित जन की आहों पर
किए उन्होंने अर्पित प्राण
वीर शहीदों तुम्हें प्रणाम!
जब तक जीवन मुक्त न हो
क्रंदन-बंधन मुक्त न हो
जब तक दुनिया बदल न जाए
सुखी शांत संयुक्त न हो—
देशभक्त मतवालों के,
हम सब हिम्मत वालों के,
आगे बढ़ते चलें क़दम,
पर्वत चढ़ते चलें क़दम!
सारुल बागला की कविता आजादी का मतलब है के माध्यम से लोगों को आजादी का मतलब समझाते हुए आप, मंच से वाहवाही लूट सकते हैं।
आज़ादी का मतलब है
कि कल सुबह जब मेरी आँखें खुलें
तो मौसम आज से बेहतर महसूस हो
तमाम मुसीबतों से लड़ते हुए लगे
कि नहीं हम जीत रहे हैं
और हमारी लड़ाई ज़ाया नहीं जा रही
एक ईंट मेरी भी रखी है इस नींव में
और हम एक मुल्क को ख़ूबसूरत बना रहे हैं
पड़ोस के चेहरों पर आई ख़ुशियों में
मेरे भी पसीने की बूँद को अमरत्व मिला है
मुझे अपने मुल्क से प्यार है
जितना कि कोई भी बेटा अपने बाप से करता है
जितना कि कोई किसान अपनी ज़मीन से करता है।
जब लाल सूरज गुज़रता है मेरे मुल्क से
तो मैं भी ख़ुश होता हूँ बेवक़ूफ़ बच्चे की तरह
रात में जब मेरे मुल्क में चाँद ठहरता है
तो अपनी महबूबा की बाँहों का ख़याल करते हुए
मेरे मन में मेरा मुल्क महकता है
लेकिन नहीं अपने बहुत ख़ुशहाल
मेरे महबूब मुल्क की आज़ादी का मतलब
यह बिल्कुल नहीं कि अपनी प्यास बिसूरता रहूँ
और साबित करता रहूँ
अपने रक़ीबों को अपना प्यार
जिन्हें ज़रा भी प्यार नहीं मेरे देश की आत्मा से
इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं
कि मैं उन्हें अपनी सच्चाई साबित करता रहूँ
जो ख़ून पीते हैं मेरी मुल्क की नसों का
नहीं किसी को कुछ साबित नहीं करना
लेकिन हाँ कल सुबह जब मैं जागूँ
तो कल मौसम कुछ अच्छा ज़रूर होना चाहिए।
वंशीधर शुक्ल की कविता कदम कदम बढ़ाए जा, छात्रों के बीच देशभक्ति का भाव पैदा करने के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है। आप इस कविता को मंच से पठकर लोगों में देशभक्ति का भाव जगा सकते हैं।
क़दम क़दम बढ़ाए जा
ख़ुशी के गीत गाए जा;
ये ज़िंदगी है क़ौम की,
तू क़ौम पे लुटाए जा।
उड़ी तमिस्र रात है, जगा नया प्रभात है,
चली नई जमात है, मानो कोई बरात है,
समय है, मुस्कुराए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाए जा।
जो आ पड़े कोई विपत्ति मार के भगाएँगे,
जो आए मौत सामने तो दाँत तोड़ लाएँगे,
बहार की बहार में
बहार ही लुटाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
जहाँ तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेंगे हम,
खड़ा हो शत्रु सामने तो शीश पै चढ़ेंगे हम,
विजय हमारे हाथ है
विजय-ध्वजा उड़ाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
क़दम बढ़े तो बढ़ चले, आकाश तक चढ़ेंगे हम,
लड़े हैं, लड़ रहे हैं, तो जहान से लड़ेंगे हम;
बड़ी लड़ाइयाँ हैं तो
बड़ा क़दम बढ़ाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा
ख़ुशी के गीत गाए जा।
निगाह चौमुखी रहे, विचार लक्ष्य पर रहे,
जिधर से शत्रु आ रहा उसी तरफ़ नज़र रहे,
स्वतंत्रता का युद्ध है,
स्वतंत्र होके गाए जा।
क़दम क़दम बढ़ाए जा,
ख़ुशी के गीत गाए जा।
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाए जा।
जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’ की लिखी गई कविता शहीदों की चिताओं पर मेले एक बेहद लोकप्रिय कविता है, जो छात्रों में जोश भरने और शहीदों की याद दिलाने के लिए काफी मानी जाती है।
उरूजे कामयाबी पर कभी हिंदोस्ताँ होगा।
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगा॥
चखाएँगे मज़ा बर्बादी-ए-गुलशन का गुलचीं को।
बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगा।
ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ ख़ंजर-ए-क़ातिल।
पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा॥
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगिज़।
न जाने बाद मुर्दन मैं कहाँ औ तू कहाँ होगा॥
वतन के आबरू का पास देखें कौन करता है।
सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तहाँ होगा॥
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले।
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा॥
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे।
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा॥
सुभद्राकुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता वीरों का कैसा हो वसंत छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुनाने के लिए।
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग,
वधु-वसुधा पुलकित अंग-अंग,
हैं वीर वेश में किंतु कंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भर रही कोकिला इधर तान,
मारू बाजे पर उधर गान,
है रंग और रण का विधान,
मिलने आये हैं आदि-अंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
गलबाँहें हों, या हो कृपाण,
चल-चितवन हो, या धनुष-बाण,
हो रस-विलास या दलित-त्राण,
अब यही समस्या है दुरंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
कह दे अतीत अब मौन त्याग,
लंके, तुझमें क्यों लगी आग?
ऐ कुरुक्षेत्र! अब जाग, जाग,
बतला अपने अनुभव अनंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
हल्दी-घाटी के शिला-खंड,
ऐ दुर्ग! सिंह-गढ़ के प्रचंड,
राणा-ताना का कर घमंड,
दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भूषण अथवा कवि चंद नहीं,
बिजली भर दे वह छंद नहीं,
है क़लम बँधी, स्वच्छंद नहीं,
फिर हमें बतावे कौन? हंत!
वीरों का कैसा हो वसंत?
स्कूल में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली देशभक्ति कविता है पुष्प की चाह, जो स्कूल की किताबों में भी पढ़ाई जाती है। छात्र इसे भी स्वतंत्रता दिवस पर मंच से बोलकर सबका दिल जीत सकते हैं।
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ में देना तुम फेंक॥
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।
जिस पथ जावें वीर अनेक॥
अगर आप स्कूल में स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देना चाहते हैं, तो अपने पसंदीदा क्रांतिकारी के बारे में 10 लाइन का भाषण तैयार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप भगत सिंह को ज्यादा पसंद करते हैं, तो उनके जन्मदिन से लेकर उनको फांसी होने तक की घटनाओं को 10 लाइन में लिखकर अपना छोटा और प्रभावशाली भाषण तैयार कर सकते हैं।
बाल गंगाधर तिलक का “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है”। 1917 में, बाल गंगाधर तिलक, जिन्होंने छह बार जेल में समय बिताया था, ने नासिक में यह भाषण दिया था। स्वशासन और अंततः पूर्ण स्वतंत्रता के लिए चल रहे सार्वजनिक संघर्ष में, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” की अभिव्यक्ति ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1. भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता मिली।
2. स्वतंत्रता के बाद, भारतीयों को उनके सभी मौलिक अधिकार प्राप्त हुए।
3. लोग राष्ट्रीय ध्वज फहराकर और राष्ट्रगान गाकर स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
4. हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए, और हमें स्वतंत्र भारत की भूमि पर जन्म लेने के लिए अपने सौभाग्य की प्रशंसा करनी चाहिए।
5. 1857 से 1947 तक, कई स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कई दशकों के संघर्ष का बलिदान दिया गया।
6. भारत की स्वतंत्रता के लिए, ब्रिटिश सेना में एक भारतीय सैनिक (मंगल पांडे) ने पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई।
7. बाद में कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया और अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।
8. भगत सिंह, खुदी राम बोस और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, जिन्होंने अपने देश के लिए लड़ने के लिए कम उम्र में अपनी जान गंवा दी, उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता।
9. गांधीजी एक महान भारतीय व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया को अहिंसा का एक बड़ा सबक दिया।
10. हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें हमारे पूर्वजों ने शांति और खुशी की भूमि दी है, जहाँ हम बिना किसी डर के पूरी रात सो सकते हैं और स्कूल या घर पर पूरा दिन आनंद से बिता सकते हैं।
स्कूलों में होने वाले स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में बच्चों का सबसे पसंदीदा एक्टिविटी होती है भाषण देना। मगर छोटे बच्चे लंबे और कठिन भाषण याद करने में अक्सर परेशान होते हैं। इसलिए स्कूल के बच्चों को सबसे आसान और यूनिक भाषण या स्पीच पर ध्यान देना होगा, जो 15 अगस्त पर बोले जा सकें।
अगर आप इस स्वतंत्रता दिवस पर कुछ करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपना विजन क्लियर की कीजिए कि आपको करना क्या है। जिसमें आप भाषण की तैयारी कर सकते हैं, देशभक्ति गीत या कविता की तैयारी कर सकते हैं या फिर देशभक्ति गीत की तैयारी कर सकते हैं। जबतक आप अपना विजन क्लियर नहीं करेंगे तब तक आप अपनी तैयारी सही नहीं कर सकेंगे।
