Indian National Flag: भारत का तिरंगा झंडा आज हर देशवासी के लिए एक गौरव का प्रतीक है। हमारे तिरंगे के हर रंग का और बीच में बने चक्र का खास मतलब है। आपको बता दें कि झंडे का डिजाइन देशभक्त पिंगली वैंकेया ने तैयार किया था जिसके लिए इनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया था। हमारे तिरंगे झंडे में तीन बराबर आकार की पट्टियां होती हैं जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद तथा नीचे हरा रंग होता है। बीच की हरी पट्टी में नीचे रंग का अशोक चक्र रहता है जिसमें एक बराबर दूरी पर 24 तीलियां रहती हैं। आइये जानते हैं अपने तिरंगे के बारे में खास बातें।
– तिरंगे का केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धता और जीवन का प्रतीक है जबकि सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है।
– तिरंगे के बीचोंबीच नीले रंग का अशोक चक्र रहता है जिसमें 24 तीलियां सम्राट अशोक की 24 शिक्षाओं को दर्शाती हैं।
– पहले तिरंगे के बीच चरखे का चित्र बनाए जाने का विचार था मगर गांधी जी ने इसके स्थान पर अशोक चक्र बनाए जाने का सुझाव दिया था ताकि झंडा दोनो तरफ से एक जैसा दिखे।
– झंडे के सम्मान और इसे फहराए जाने के नियमों को लेकर 26 जनवरी 2002 को ‘भारतीय झंडा संहिता 2002’ को लागू किया गया।
– राष्ट्रीय ध्वज को हाथ से काते गए और हाथ से बुने गए खादी का ही बना होना चाहिए।
– झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए जिसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 हो।
– झंडे का व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता तथा न ही इसे रुमाल, तकिये या कपड़ों पर प्रिंट किया जा सकता है।
– झंडे पर किसी भी प्रकार का विज्ञापन, सूचना या अभिलेख नहीं लिखा जा सकता।
– झंडा जब भी फहराया जाए, तो वह सबसे ऊंंचे स्थान पर होना चाहिए।
– कोई दूसरा झंडा भारतीय झंडे के बराबर ऊंंचाई पर नहीं फहराया जा सकता तथा भारतीय ध्वज दंड के साथ भी कोई दूसरा झंडा नहीं फहराया जा सकता।
– मैला या फटा हुआ झंडा नहीं फहराया जा सकता।
– जनता द्वारा राष्ट्रीय अवसरों पर कागज का झंडा हिलाने की अनुमति है लेकिन ऐसे झंडों को जमीन पर नहीं फेंका जाना चहिए। इनका सम्मानपूवर्क निपटान किया जाना चाहिए।
– खुले स्थान पर झंडे को मौसम की चिंता किए बगैर सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता है।
– तिरंगे झंडे का किसी भी प्रकार का अपमान किया जाना एक दण्डनीय अपराध है।