देशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई का सपना देखने वाले युवाओं के लिए NEET परीक्षा का स्‍कोर उनका भविष्‍य तय करता है क्‍योंकि प्राइवेट कॉलेजों की फीस वहन कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं। मेडिकल शिक्षा का व्यवसायीकरण करने में केवल प्राइवेट कॉलेज आगे नहीं हैं, कुछ राज्य सरकारें भी अपने कॉलेजों को स्व-वित्तपोषण करने के नाम पर पैसा बनाने की दौड़ में शामिल हो गई हैं। कई सरकारी कॉलेजों में 3% – 15% सीटें NRI स्‍टूडेंट्स के लिए अलग रखी गई हैं और कुछ में मैनेजमेंट कोटा है।

गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पुदुचेरी में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटे का प्रावधान है। जहां एक ओर कॉलेजों में सामाजिक पिछड़ेपन की भरपाई की नीयत से जाति-आधारित कोटा दिया जाता है वहीं एनआरआई कोटा फीस के रूप में छात्रों से लाखों वसूलता है। ज्यादातर राज्यों का ये दावा है कि इस कोटे से वसूली गई फीस कॉलेजों के रखरखाव और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए काम आती है।

गुजरात में NRI कोटे की सबसे अधिक 241 सीटें हैं, इसके बाद राजस्थान में 212, पंजाब में 41, पुडुचेरी में 22, हिमाचल में 20 और हरियाणा में 15 सीटें हैं। कमाल की बात ये है कि NRI सीटें न केवल NRI भारतीयों के लिए खुली हैं, बल्कि उनके लिए भी हैं जो फीस स्‍पांसर कर सकें। इस कोटे के तहत ऐसे छात्र भी एडमिशन ले सकते हैं जिनके भाई, बहन या माता- पिता NRI हों। अगर छात्र के माता-पिता NRI नहीं भी हैं, तो कोई NRI अंकल, रिश्‍तेदार या ग्रांडपेरेंट्स भी स्‍पांसर्स बन सकते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें कैंडिडेट्स झूठे तरीकों से एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में आकर एडमिशन लेने की कोशिश करते हैं। जरूरत है NRI क्‍लेम करने वाले उम्‍मीदवारों की बेहतर और ठीक तरीके से जांच किए जाने की।

बता दें कि सरकारी कॉलेजों में NRI कोटे की फीस 14 लाख रुपये से लेकर लगभग 20 लाख रुपये प्रति वर्ष है। जबकि अधिकांश सरकारी कॉलेजों में इसी कोर्स की सामान्‍य फीस 25,000 रुपये से 1 लाख रुपये प्रति वर्ष है। इस लिहाज से NRI स्‍टूडेंट्स की फीस तकरीबन 20 गुना ज्‍यादा है। ध्‍यान देने वाली बात ये है कि ये फीस प्राइवेट कॉलेजों की औसतन 30 लाख रुपये सालाना की फीस से काफी कम है।

इससे पहले, आंध्र प्रदेश में भी सरकारी कॉलेजों में NRI सीटें थीं, लेकिन आगे चलकर ये कोटा खत्‍म कर दिया गया। मध्य प्रदेश में 2016 तक सरकारी कॉलेजों में लगभग 28 NRI सीटें थीं, लेकिन सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के कारण मध्‍यप्रदेश के कॉलेजों में भी NRI कोटा खत्‍म कर दिया गया है। पिछले साल, कर्नाटक सरकार ने सरकारी कॉलेजों में NRI कोटा शुरू करने का विचार रखा था, लेकिन छात्र संगठनों द्वारा आंदोलन की धमकी देने के बाद इस विचार को छोड़ दिया गया।