Pahalgam Attack News: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है। इस आतंकी हमले में 26 लोगों निर्मम हत्या कर दी गई थी। एक तरफ जहां भारत सरकार इस हमले का करारा जवाब देने की तैयारी कर रही है तो दूसरी ओर भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडोज चर्चा में आ गए हैं। गरुड़ कमांडोज वायुसेना के सबसे खतरनाक मिशन को अंजाम देने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं। आखिर उनकी ट्रेनिंग कैसे होती है और उनकी खासियत क्या है चलिए आज आपको बताते हैं।
भारतीय वायु सेना के अंतर्गत आने वाले गरुड़ कमांडोज सबसे खतरनाक ऑपरेशंस के लिए जाने जाते हैं। उनके आगे आतंकवादी नजर उठाने तक से डरते हैं और उनकी आहट से ही दुश्मन युद्ध का मैदान छोड़कर उल्टे पैर भागने लगते हैं। आतंकवादियों में इनका खौफ इसलिए भी होता है क्योंकि उनकी ट्रेनिंग भारतीय सेना की सबसे कठिन प्रक्रिया में से एक मानी जाती है।
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कैसे होती है गरुड़ कमांडोज की ट्रेनिंग?
गरुड़ कमांडोज की ट्रेनिंग की बात करें तो इस फोर्स में कमांडोज का चयन बेहद ही कठिन प्रक्रिया से होकर गुजरता है करीब 1000 दिनों की सफल ट्रेनिंग के बाद किसी सैनिक को गरुड़ कमांडोज की टुकड़ी में शामिल किया जाता है। इन्हें अपने मिशन के दौरान नदियों, पहाड़ियों रेगिस्तानों से लेकर बर्फबारी और सभी विषम परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाता है।
भारतीय वायुसेना के कमांडोज की बात करें तो यह अपने साथ भारी बोझ लेकर कई किलोमीटर तक चल सकते हैं। इतना ही नहीं, यह घने जंगलों में बिना किसी संसाधनों के भी लंबे वक्त तक समय काटने में सक्षम होते हैं जिसके चलते इन्हें दुश्मनों और आतंकवादियों के लिए मौत का दूसरा नाम भी कहा जाता है। गरुड़ कमांडोज की चयन प्रक्रिया की बात करें तो गैर कमीशन पदों के चयन के लिए सामान्य वायु सेना भर्ती प्रक्रिया से शुरू होता है। इसमें कैंडिडेट का फिजिकल टेस्ट इंटरव्यू और साइकोलॉजिकल टेस्ट होता है।
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कैंडिडिट्स को नहीं मिलता दूसरा मौका
खास बात किया है कि अगर आप इस प्रक्रिया में एक बार भी फेल होते हैं तो आपको कभी दोबारा शामिल नहीं किया जाता है। कमीशन प्राप्त अधिकारी बनने के लिए उम्मीदवारों को एक एएफसीएटी परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद हैदराबाद स्थित वायु सेना अकादमी में स्पेशल ट्रेनिंग होती है।
गरुड़ कमांडोज फोर्स की स्थापना सितंबर 2004 में हुई थी। इनका नाम भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम पर रखा गया है जिसका उद्देश्य वायुसेना की संपत्तियों की रक्षा करना और कश्मीर घाटी में वायु सेना ठिकानों पर हमले की घटनाओं को रोकना था लेकिन बाद में यह फोर्स भारतीय वायु सेना की अहम टुकड़ी बन गई।
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कितनी होती है गरुड़ कमांडोज की सैलरी?
गरुड़ कमांडो को उनके नाम और जोखिम के आधार पर सैलरी दी जाती है जिसकी शुरुआत 70,000 रुपए से होती है। गरुड़ कमांडोज की अधिकतम सैलरी ढाई लाख रुपए प्रति माह तक हो सकती हैं। इसके अलावा इन कमांडोज को ड्यूटी एलाउंस, हाई रिस्क अलाउंस और कई तरह के इंसेंटिव भी दिए जाते हैं।
