Gandhi Jayanti Speech in Hindi 2025, Mahatma Gandhi Jayanti Par Bhashan: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को देश न कभी भूला है और न ही कभी भूलेगा। सदैव अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन उनकी विचारधारा का विरोध करने वाले नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।

इस दिन शिक्षण संस्थानों में होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम

गांधी जी की मृत्यु भले ही हो गई, लेकिन उनके विचार आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं और उनकी जयंती पर यही प्रयास होता है कि उनके विचारों और उनकी बातों का अधिक से अधिक प्रसार किया जा सके। इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में होने वाले कार्यक्रमों में महात्मा गांधी के जीवन, कार्य और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के बारे में जानकारी दी जाती है और साथ ही कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

गांधी जयंती पर दीजिए यह भाषण

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सम्मानित शिक्षकगण, अभिभावकगण, और मेरे प्रिय साथियों,

सभी को सुप्रभात।

आज हम सब यहां 2 अक्टूबर के पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं, जिसे हम गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। यह दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती के रूप में पूरे भारत में और कई अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे एक साधारण परिवार में जन्मे, लेकिन अपने असाधारण विचारों और कर्मों से उन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया।

गांधी जी ने हमेशा सत्य और अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार माना। उन्होंने कहा — “आप जो बदलाव दुनिया में देखना चाहते हैं, वह पहले स्वयं बनिए।”

उन्होंने दांडी यात्रा, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनकी बदौलत भारत को आज़ादी मिली।

गांधी जी केवल भारत के नेता नहीं थे। उनके विचारों से मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसे विश्व नेता भी प्रभावित हुए। आज भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को “अहिंसा दिवस” (International Day of Non-Violence) के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गांधी ने लंदन में कानून की पढ़ाई की थी। लंदन से बैरिस्टर की डिग्री हासिल कर उन्होंने बड़ा अफसर या वकील बनना उचित नहीं समझा, बल्कि अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया। अपने जीवन में उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किए। वह हमेशा लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे। चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन उनके कुछ प्रमुख आंदोलन ने जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया।

गांधी पर कहें हरिवंशराय बच्चन की कविता

गोलियों के ओढ़े बाएँ-दाएँ,
यह छाती परिचित थी भारत की धड़कन से,
यह छाती विचलित थी भारत की तड़पन से,
यह तानी जहाँ, बैठी हिम्मीत गोले-गन की अचरज ही है पिस्तौल इसे जो बिठलाए,
इन आँखों को था बुरा देखना नहीं सहन,
जो नहीं बुरा कुछ सुनते थे ये वही श्रवण,
मुख यही कि जिससे कभी न निकला बुरा वचन,
यह बंद-मूक जग छलछुद्रों से उकताए,
यह देखो बापू की आजानु भुजाएँ हैं,
उखड़े इनसे गोराशाही के पाए हैं,
लाखों इनकी रक्षा-छाया-में आए हैं,
ये हाथ सबल निज रक्षा में क्योंक सकुचाए,
यह बापू की गर्वीली, ऊँची पेशानी,
बस एक हिमालय की चोटी इनकी सनी,
इससे ही भारत ने अपनी भावी जानी,
जिसने इनको वध करने की मन में ठानी उसने भारत की किस्मत में फेरा पानी;
इस देश-जाती के हुए विधाता ही बाएं।