दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (EC) ने अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान, इतिहास और समाजशास्त्र के स्नातक (ग्रेजुएट) पाठ्यक्रम को अपने विभागों में वापस भेजने का फैसला किया है। चारों विभागों को डीयू की स्नातक पाठयक्रम समीक्षा समिति (UGCRC) की सिफारिशों के आधार पर पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए कहा गया है। परिषद ने यह भी निर्णय लिया है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (SOL) और गैर-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (NCWEB) का पाठ्यक्रम इस सत्र से CBSE प्रणाली पर आधारित होगा। एसओएल लंबे समय से अपने पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए वार्षिक मोड से लेकर सीबीसीएस प्रणाली तक विश्वविद्यालय के बाकी संस्थानों के बराबर होने की मांग कर रहा है।

परिषद के सदस्य राजेश झा ने कहा कि NDTF शिक्षकों की आपत्तियों के बाद पाठ्यक्रम को वापस भेज दिया गया। उन्‍होनें कहा, “यह प्रशासन द्वारा ‘हाथ मरोड़ने’ के अलावा और कुछ नहीं है। पाठ्यक्रमों को संकाय और निरीक्षण समितियों द्वारा 31 जुलाई तक दोबारा चेक किया जाना है।” EC UGCRC द्वारा मांगे गए संशोधनों पर सहमति चाहता है। फैसले पर अपना असंतोष व्‍यक्‍त करते हुए ईसी के वरिष्ठ सदस्य J L Gupta ने कहा, “इन पाठ्यक्रमों के छात्रों का क्या होगा? हर वर्किंग डे सेमेस्टर प्रणाली में गिना जाता है और 01 अगस्त से संशोधित पाठ्यक्रम लाने के निर्णय से छात्रों को काफी नुकसान और व्यवधान होगा।” राजेश झा ने कहा, “सिलेबस को विभागों में भेजने के बजाय उन्हें AC में भेजना चाहिए था। यह DU अधिनियम का उल्लंघन है। विभागों की स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए।”

11 जुलाई को शैक्षणिक मामलों की स्थायी समिति में इन पाठ्यक्रमों पर आपत्ति जताने वाले AC सदस्य रसल सिंह ने परिषद के फैसले का स्वागत किया। उन्‍होनें पाठ्यक्रमों को “प्रोपागैंडिस्‍ट” और “गैर-समावेशी” कहते हुए कहा, “इन कोर्सेज के पाठ्यक्रमों को व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है।”