वतर्मान में सभी स्कूलों में पढ़ा रहे अध्यापकों की गुणवत्ता में सुधार और बेहतर नए शिक्षक तैयार करने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी (एनसीटीई) ने अध्यापक शिक्षा में आमूलचूल बदलाव की शुरुआत की है। ये बदलाव मुख्य रूप से दो तरीके से होंगे। पहले बदलाव के तहत देश के 18 हजार कॉलेज या संस्थानों की प्रत्यायन (अक्रेडटैशन) और रैंकिंग की जाएगी और दूसरे के तहत, वर्तमान में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए एक ‘नेशनल टीचर प्लेटफॉर्म’ तैयार किया जा रहा है। एनसीटीई के प्रमुख ए. संतोष मैथ्यू ने जनसत्ता से खास बातचीत में कहा कि प्रत्यायन और रैंकिंग का काम बिहार से शुरू कर दिया गया है। इसे ‘टीचआर’ नाम दिया गया है। उनके मुताबिक एनसीटीई ने देश के सभी 18 हजार संस्थानों और कॉलेजों से प्रत्यायन और रैंकिंग के लिए आवेदन करने को कहा है। कई बार अंतिम तिथि बढ़ाने के बाद अब तक 8,000 कॉलेज या संस्थानों ने ही अपना डाटा उपलब्ध कराया है। इसके बाद अंतिम तिथि एक बार फिर बढ़ाकर 31 जुलाई से 31 अगस्त कर दी गई है।
पांच साल में प्रत्यायन करना अनिवार्य
मैथ्यू ने कहा कि नियमों के मुताबिक सभी अध्यापक शिक्षा संस्थानों को हर पांच वर्ष में प्रत्यायन करना आवश्यक है लेकिन हजारों संस्थान ऐसे हैं जिन्होंने आज तक एक बार भी प्रत्यायन नहीं कराया है। अब हम इसे सख्ती से लागू करने जा रहे हैं। इसके अलावा परिषद प्रत्यायन की प्रक्रिया को पूरी तरह से आॅनलाइन करने जा रही है। पहली बार प्रत्यायन करने के बाद हर संस्थान को हर वर्ष कुछ आंकड़े आॅनलाइन ही भेजने होंगे। पहले से चौथे साल तक संस्थान के आंकड़ों पर विश्वास किया जाएगा और उनसे कोई सवाल जवाब नहीं होगा। पांचवें वर्ष के अंत में परिषद से जुड़े विशेषज्ञ संस्थान में जाएंगे और वहां से सभी आंकड़े जमा करके ले आएंगे। ये फोटो, वीडियो या लोगों से बातचीत कुछ भी हो सकता है। इसके बाद परिषद में बैठे अन्य विशेषज्ञ तय करेंगे कि संस्थान को मान्यता दी जाए या नहीं।
चार आधारों पर तय होगी प्रत्यायन और रैंकिंग
एनसीटीई प्रमुख ने बताया कि प्रत्यायन के लिए चार आधार तय किए गए हैं। इनमें भवन, मैदान आदि भौतिक संपत्ति के लिए 10 फीसद भार तय किया गया है। इसी तरह अकादमिक संपत्ति जैसे पुस्तकालय, शिक्षकों की योग्यता, शिक्षण सामग्री आदि के लिए 20 फीसद, शिक्षक एवं सीखने की गुणवत्ता के लिए 30 फीसद और 40 फीसद भार संस्थान से पढ़कर निकने वाले छात्रों को मिलने वाली नौकरी, दो सालों के दौरान टेट पास करने वालों की संख्या आदि से निर्धारित होगा। इन आधारों पर सभी संस्थानों को चार श्रेणियों ए, बी, सी और डी में बांटा जाएगा। डी श्रेणी के संस्थानों को तुरंत बंद कर दिया जाएगा और सी श्रेणी के संस्थानों को सुधार के लिए 12 महीनों का समय दिया जाएगा और इस दौरान हर महीने उसकी प्रगति पर नजर रखी जाएगी। रैंकिंग 31 मार्च 2018 को जारी की जाएगी।
शिक्षकों की मदद के लिए शुरू होगा नेशनल टीचर प्लेटफॉर्म
दूसरे बदलाव के तहत वतर्मान में स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों को संसाधन युक्त करने के लिए नेशनल टीचर प्लेटफॉर्म शुरू किया जाएगा। इसके तहत शिक्षकों को आॅनलाइन और आॅफलाइन देश में उपलब्ध सबसे बेहतर पाठन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी जिसका का इस्तेमाल कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। उन्होंने एक उदाहरण देकर बताया कि अगर आप कक्षा आठ के विज्ञान के शिक्षक हैं और किसी विशेष दिन आपको भौतिक विज्ञान में प्रकाश के बारे में पढ़ाना है तो इस प्लेटफॉर्म पर देश और दुनिया में उपलब्ध सबसे बेहतर सामग्री यानी वीडियो, पीपीटी, फोटो, थ्री डी इमेज आदि एक जगह उपलब्ध होंगे। इसके माध्यम से शिक्षक आसानी से बच्चों को पढ़ा पाएंगे। यह सामग्री राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के सहयोग से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के तहत तैयार की गई है। इतना ही नहीं जो शिक्षक अपनी कक्षा में पढ़ाने के दौरान नवाचार का उपयोग करते हैं, वे भी उसको अन्य शिक्षकों से साझा कर सकेंगे। नेशनल टीचर प्लेटफॉर्म एक पोर्टल के अलावा मोबाइल ऐप पर भी उपलब्ध होगा। यह प्लेटफॉर्म शिक्षक दिवस पर देश के शिक्षकों को समर्पित किया जाएगा।
15 साल में 1500 ने ही कराया प्रत्यायन
प्रत्यायन की प्रक्रिया वर्ष 2002 में शुरू हुई थी। वर्ष 2017 तक सिर्फ 1,500 संस्थानों या कॉलेजों ने ही प्रत्यायन कराया है। इसके अलावा वर्ष 2012 ने सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया था जिसने कहा था कि कुछ प्रत्यायन के काम को एनसीटीई खुद करे। इससे पहले अध्यापक शिक्षा संस्थानों का प्रत्यायन भी नैक करता था। इसके बाद भी ज्यादा कुछ नहीं हुआ। अब परिषद ने पिछले साल सभी कॉलेजों और संस्थानों से एक समय सीमा में प्रत्यायन के लिए आवेदन के लिए कहा लेकिन उसके बाद भी ये आगे नहीं आ रहे हैं। जब संस्थान आगे नहीं आए तो हमने खुद ही उनके संस्थानों में जाकर वस्तुस्थिति को देखने का फैसला किया है। यह काम बिहार में शुरू हो चुका है।
-ए. संतोष मैथ्यू, एनसीटीई के प्रमुख