प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस पर अभिभावकों की परेशानी को देखते हुए तमाम शिकायतों पर गौर करने के बाद दिल्ली सरकार निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि के खिलाफ बड़ा कदम उठाने जा रहा रही है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शनिवार 2 अगस्त को कहा कि दिल्ली सरकार आगामी मानसून सत्र में प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक पेश करेगी। दिल्ली सरकार कैबिनेट ने हाल ही में 29 अप्रैल, 2025 को एक अध्यादेश पारित किया था, जिसके अनुसार, यह विधेयक मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कठोर दंड लगाता है।
क्या है दंड का प्रावधान ?
अध्यादेश के अनुसार, स्कूलों द्वारा पहली बार उल्लंघन करने पर, स्कूलों पर 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा और बार-बार उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि स्कूल निर्धारित समय के भीतर शुल्क वापस नहीं करता है, तो जुर्माना 20 दिनों के बाद दोगुना, 40 दिनों के बाद तिगुना और हर 20 दिन की देरी के साथ बढ़ता रहेगा। बार-बार उल्लंघन करने पर स्कूल प्रबंधन में आधिकारिक पदों पर रहने पर प्रतिबंध लग सकता है और भविष्य में शुल्क संशोधन का प्रस्ताव देने का अधिकार भी छिन सकता है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने क्या कहा ?
मीडिया को संबोधित करते हुए, सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, “दिल्ली सरकार 4 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मॉनसून सत्र में निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को नियंत्रित करने वाला शिक्षा विधेयक पेश करेगी।” अन्य नीतिगत कदमों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने घोषणा की कि दिल्ली विधानसभा अब कागज़ रहित ई-विधानसभा के रूप में कार्य करेगी।
उन्होंने कहा, “यह खुशी की बात है कि दिल्ली विधानसभा अब कागज़ रहित होगी। हमने विधानसभा को एक आदर्श विधानसभा के रूप में भी विकसित किया है, क्योंकि यह अब पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर है।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार के व्यापक डिजिटल और सतत शासन एजेंडे के तहत, दिल्ली सचिवालय को भी कागज़ रहित बनाने के प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम दिल्ली को विकसित बनाने के लिए नीतिगत निर्णय ले रहे हैं।” रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार के तहत यह मानसून सत्र दिल्ली विधानसभा का तीसरा सत्र होगा।